14 रुपये में मीटिंग वाले केले का कृषकों को लखपति बनाया जा सकता है

एक बोतल से तैयार हो रहे सैकड़ों उपाय

पर प्रकाश डाला गया

  1. किसान केले की उच्च निर्मिति और अच्छी गुणवत्ता प्राप्त कर सकते हैं।
  2. केले का पौधा किसानों को कम खर्च में ज्यादा दाम दे सकता है।
  3. किसान केले की उच्च निर्मिति और अच्छी गुणवत्ता प्राप्त कर सकते हैं।

नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कल्चरल कॉलेज के शोरूम में टिशुचर टेक्नॉलॉजी ने ऐसा केला प्लांट तैयार किया है, जो किसानों को कम खर्च में ज्यादा रिवीलेशन दे सकता है। कृषि महाविद्यालयों द्वारा किसानों को यह प्लांट 14 मात्रा में उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे किसान केले की उच्च निर्मिति एवं अच्छी क्वालिटी प्राप्त कर सकते हैं।

इस तकनीक से तैयार केले के उपाय न केवल किसानों की खोज में सहायक होंगे, बल्कि उनकी खेती को रोगमुक्त और भी बढ़ावा देंगे। वैज्ञानिक तरीकों से तैयार ये औषध खेत में लगाने के बाद एक समान आकार और अच्छी गुणवत्ता वाले फल प्रदान करते हैं, जिससे किसानों के उपस्कर और उद्योग में बढ़त होती है।

सामान्य प्रबंधन से स्नातक स्तर की पढ़ाई की संभावना

टिशू कल्चर से तैयार केले के उपकरण सामान्य आर्किटेक्चर की तुलना में वॉल्यूम से दो गुणा अधिक बनाते हैं। 6-9 महीने में उपचार की वृद्धि और 12-18 महीने में फलों का निर्माण पूरा हो जाता है। इसके फल जल्दी पकते हैं और उच्च उत्पाद एवं रोग उपकरण क्षमता से कम हो जाते हैं, जिससे किसानों को अधिक नुकसान होता है।

केले के उपाय की प्यास मांग

प्रभारी अधिकारी डा. वर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में पंजीकृत इन कंपनियों से 14 रुपये की कीमत मिल रही है। केला स्वास्थ्य के लिए भी जादुई होता है और 100 ग्राम फल से 67 ऊर्जा ऊर्जा उत्पाद मिलते हैं। आने वाले दिनों में मे राज्य शासन से सहायता बैठक पर इस प्रयोगशाला का विस्तार किया जाएगा जिससे अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ मिल सके।

ये भी पढ़ें

स्थानीय आवक से राहत, भा रहा हरे पत्ते का स्वाद, के बाद और नतीजे का अनुमान

naidunia_image

नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। चिल्हर बाजार में ग्रीन स्टॉक एक्सचेंज में गिरावट देखने को मिल रही है। स्थानीय कलाकारों में से टमाटर, लौकी, धनिया और पालक जैसे रेस्तरां के दाम होने से भी कम हो गए हैं। जहां कुछ दिन पहले तक उथल-पुथल वाले लोगों के बजट पर भारी पड़ रही थी, वहीं अब सागा-भाजियों के शौकीनों के लिए यह राहत भरी खबर है। बृहस्पति, शनिचरी, तोरवा और रविवारी बाजार में भी ड्रोपल के दाम में कमी आई है।

शहर के विभिन्न जिलों में स्थानीय स्तर पर उथल-पुथल की स्थिति में गिरावट का रुख जारी है। टमाटर जो हाल ही में 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया था, अब उससे भी कम कीमत पर मिल रहा है। इसी तरह पालक भी अब 100 रुपये से 30 रुपये प्रति किलो तक आ गया है। घर के किचन में हरे रेस्तरां की दुकान वापस आ गई है। मंगला, खार, रतनपुर, धूमा सिलापहाड़ी सहित आसपास के अन्य आभूषणों से हरी सागा कंपनी अब मंडी और बाजार में पहुंच गई है। जिससे ड्रोल के दाम में असर देखने को मिलता है।

अंबिकापुर के टमाटर का भी भुगतान किया गया है। सब्जी विक्रेता अनय सोनकर ने बताया कि त्योहारी सीजन में जैसे ही नई फसल की आवक शुरू हुई है, वैसे ही थोक के अंतराल में गिरावट आनी शुरू हो गई है। के बाद और भी ज्यादा अवाक होने की संभावना है। जिससे बांध और गिर सकते हैं। अब लोग बजट में अधिकतम से अधिक खरीददारी कर सकते हैं।

विश्विद्यालय की संख्या में खंड

सब्जी विक्रेता अनय सोनकर के अनुसार, हरे दुकानदारों की आवक में बढ़ोतरी के कारण उद्यमियों की संख्या में भी गिरावट आई है। पूर्वी एशिया में सागा-भाजी का अधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक होता है। अब दाम घटने से लोग आकर्षक इनका लाभ उठा सकते हैं। मंगला, तोरवा बाजार, शनिचरी बाजार और शनिचरी बाजार में भी थोक और चिल्हर भाव में गिरावट देखने को मिली है।

प्रमुख अभिलेख के दाम

दाम टमाटर 40 रुपएपालक 30 रुपएलौकी 30 रुपएधनिया पत्ता 120 रुपएमिर्ची 80 रुपए मैथी 100 रुपएलाल भाजी 30 रुपएबैगन 30 रुपएबारबट्टी 40 रुपएपरवल 50 रुपएगोभी 80 रुपएपत्ता पत्ता 40 रुपएकरेला 50 रुपएकुमहारा 30 रुपएजिमी कंद 60 रुपएभिंडी 50 रुपएकच्चा केला 50

Keep Up to Date with the Most Important News

By pressing the Subscribe button, you confirm that you have read and are agreeing to our Privacy Policy and Terms of Use