मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार पर कोरोना संकट से निपटने के लिए केंद्र द्वारा भेजे गए अतिरिक्त खाद्यान्न में 5 लाख टन राशन घोटाले का सनसनीखेज आरोप लगाया है तथा मांग की है कि गरीबों के मुंह से छीन गए इस अतिरिक्त अनाज का तुरंत वितरण किया जाए। गुरुवार को जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि केंद्र सरकार ने मई-जून माह के लिए सभी राशन कार्डधारी परिवारों को प्रति व्यक्ति पांच किलो प्रति माह अतिरिक्त खाद्यान्न का आबंटन किया है।
मगर, इसको पूरा वितरित करने के बजाय भूपेश सरकार प्राथमिकता प्राप्त चार या इससे अधिक सदस्यों वाले परिवार को प्रति सदस्य तीन किलो प्रति माह के हिसाब से ही इस अतिरिक्त खाद्यान्न को देने का निर्णय लिया है, जबकि तीन सदस्यों तक के गरीबी रेखा से नीचे के प्राथमिकता प्राप्त परिवारों को इस अल्प वितरण से भी वंचित कर दिया गया है। सरकार द्वारा प्रसारित विज्ञापन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा है कि कांग्रेस सरकार के इस निर्णय से गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले 25 लाख से अधिक परिवार अतिरिक्त खाद्यान्न आबंटन से पूरी तरह वंचित हो गए हैं, जबकि 20 लाख परिवार केवल आंशिक उपभोग ही कर पाएंगे।
उन्होंने बताया कि पिछली कोरोना लहर में भी इस सरकार ने गरीब जनता को मिलने वाले राशन में इसी तरह की डकैती डाली थी। पराते ने कहा कि उदार अनुमान के हिसाब से भी प्रदेश के 45 लाख गरीब परिवारों को एक लाख टन अतिरिक्त खाद्यान्न प्राप्त करने से वंचित किया गया है। पिछली कोरोना लहर में आठ माह के लिए आबंटित अतिरिक्त खाद्यान्न को मिलाकर यह खाद्यान्न घोटाला पांच लाख टन का होता है।
माकपा नेता ने पूछा है कि सरकार यह बताए कि गरीबों के पेट से छीने गए इस अतिरिक्त खाद्यान्न का उसने क्या उपयोग किया है? उन्होंने कहा कि ऐसा फैसला जन-स्वास्थ्य के साथ सीधे-सीधे खिलवाड़ करना है। उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा भेजे गए खाद्यान्न में कटौती करके वितरित करने का राज्य सरकार को कोई अधिकार नहीं है।
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