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प्रतिबद्ध ग्रामीण नेतृत्व

केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय की ओर से घोषित राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों में प्रदेश को ग्यारह पुरस्कारों का मिलना गौरवपूर्ण है। इनमें राजधानी रायपुर से सटे गांवों को चार विभिन्न पुरस्कार मिले हैं तो नक्सल प्रभावित कोंडागांव और बीजापुर पंचायतें भी शामिल हैं। प्रदेश की आठ पंचायतें दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार प्राप्त करने में सफल रही हैं।

इसके साथ ही नानाजी देशमुख गौरव ग्रामसभा पुरस्कार, ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार और बाल मित्र ग्राम पंचायत पुरस्कार भी प्रदेश की झोली में आए हैं। हर पुरस्कार पंचायत स्तर पर नेतृत्व के सकारात्मक काम का प्रतिनिधित्व करता है और भविष्य में और बेहतरी के लिए प्रेरणा का माध्यम भी है। हर पुरस्कार के पीछे प्रतिबद्धता की प्रेरक कहानियां हैं।

बाल मित्र ग्राम पंचायत पुरस्कार विजेता राजधानी रायपुर के नवागांव (लखना) के सरपंच भागवत साहू ने उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनके गांव के स्कूल में मामूली बारिश डेढ़-दो फीट पानी जमा हो जाता था। स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती थी।

गांव के स्कूल के प्रति बेचैनी का ही परिणाम रहा कि नेतृत्व की जिम्मेदारी मिलने पर सामाजिक सहयोग से पूरी स्थिति बदल दी। विधायक से लेकर अभिभावक और छात्र तक सहयोगी बने। अब यह प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ स्कूलों में एक माना जाने लगा है। यह कहानी प्रेरित करती है कि नेतृत्व में यदि कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो बदलाव सुनिश्चित हो जाता है।

रायपुर जिले के खाते में प्रदेश में सर्वाधिक चार राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार दर्ज हुए हैं। प्रदेश की विभिन्न पंचायतों को आठ दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार मिले हैं। रायपुर की तिल्दा और आरंग, सरगुजा की अंबिकापुर और लुंड्रा, बालोद की गुंडरदेही, कबीरधाम की लोहारा, कोंडागांव एवं गरियाबंद पंचायतों ने यह सम्मान हासिल कर गौरव बढ़ाया है।