रायपुर. छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई को लेकर राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों आरोप प्रत्यारोप में लगे हैं. यहां कोल ब्लॉक शुरू होने जाने को लेकर सरकार में बने रहे अब तक शैलेश साधी कांग्रेस अब विरोध में उतर आई है। ऐसा लगता है विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद अब आम चुनाव के लिए कांग्रेस हसदेव अरण्य में संजीवनी की तलाश में है। यही कारण है कि कांग्रेस के नेता अब अध्यक्ष कोल ब्लॉक का विरोध कर रहे हैं। दूसरी बात यह है कि हसदेव अरण्य में ओपनर जाने वाले परसा ईस्ट केते बासन कोल ब्लॉक की ओर से केंद्र में कांग्रेस की सरकार द्वारा ही दी गई थी। सबसे पहले इस खदान के लिए 1898.328 हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्सन का उद्यम 15/03/2012 को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी किया गया था। जब केंद्र में सरकार थी.
परसा ईस्ट केते बासेन कोल ब्लॉक राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड, जयपुर (आरआरवीयूएनएल) को बंद कर दिया गया है। राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड, जयपुर (आरआरवीयूएनएल) द्वारा कोल ब्लॉक के लिए एम.डी.ओ. परसा केटे कोल लिमिटेड (मेसर्स अदानी इंटरप्राइजेज का निगम) को नियुक्त किया गया है। परसा पूर्व केते बासन पर खनन उद्यम, पर्यावरण उद्यम, वन व्यपवर्तन विपक्ष, जैसी आवश्यकता बैठक के बाद किसी भी स्थानीय विरोध के बिना वर्ष 2012 से खनन का काम शुरू हुआ।
वहीं, परसा ईस्ट केते बासेन चरण-2 के तहत 1136 हेक्टेयर भूमि के पर्यावरण, वन जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 02/02/2022 को दी। वन भूमि डायन के लिए अंतिम चरण के संस्करण वन विभाग, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 25/03/2022 प्रदान किया गया, जब राज्य में कांग्रेस की ही सरकार थी। अब जब कांग्रेस में शामिल हुए तब हसदेव अरण्य के रूप में वापसी के लिए एक पर्यटक दर्शन आ रहा है। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर दोमुंही राजनीतिक आचरण करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि कांग्रेस पार्टी जिस हसदेव अरण्य को लेकर राजनीति कर रही है, उसका अखबार कांग्रेस के समय में हुआ है और आज जब सत्य से उतरे तो पूरी तरह से ठीकरा भाजपा के ऊपर हावी हैं।
बीजेपी का कहना है कि 23 जून 2022 को राजस्थान सरकार को वनमंडल सरगुजा छत्तीसगढ़ द्वारा इंकलाबी सर्वे रिपोर्ट उप मंडल साकेत और परिसदन जोसेफ द्वारा प्रमाणित किया गया था तब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी। इससे स्पष्ट होता है कि कांग्रेस की सरकार ही कोयला कलाकारों के लिए मिशन देना चाहती थी।
42 लाख पाउंड का स्वामित्व का दावा
यहां परसा केटे कोल लिमिटेड के अधिकारियों ने बताया कि कुल 3822 क्षेत्र में वैकल्पिक वर्गीकरण के तहत 42,04,200 के तहत कोयला खनन परियोजना का मूल्यांकन किया गया है। इसी तरह भारत सरकार, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा अधिरोपित कंपनी के अनुसार डंप और रिक्लेमेशन क्षेत्र में कुल 8,20,700 कंपनियां स्थापित की गई हैं। इस तरह की परियोजना के तहत 50,24,900 वृक्ष का कपास अब तक पूरा किया जा चुका है। इसके अलावा मेरा रिक्लेमेशन प्लान के अनुसार रिक्लेम की जमीन पर भी हर साल करीब 1 लाख का निवेश आया।