नईदुनिया न्यूज, बिलासपुर। सरकंडा क्षेत्र स्थित पंडित रामदुलारे दुबे शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में दो छात्रों के बीच मामूली बात पर विवाद बढ़ गया, जो स्कूल की छुट्टी के बाद मारपीट में तब्दील हो गया। बताया जा रहा है कि 11वीं और 12वीं कक्षा के दो छात्रों के बीच स्कूल में एक-दूसरे को चिढ़ाने की बात पर बहस हुई थी। छुट्टी के बाद दोनों छात्रों का जबड़ापारा में आमना-सामना हुआ और चिढ़ाने की बात को लेकर उन दोनों के बीच मारपीट हो गई। इस घटना में एक छात्र को सिर में चोट लगी और उसे इलाज की आवश्यकता पड़ी। इसके बाद दोनों पक्ष सरकंडा थाने में शिकायत लेकर पहुंचे।
स्कूल प्रबंधन और पुलिस ने दोनों छात्रों और उनके अभिभावकों को मामले की गंभीरता समझाई। पुलिस ने छात्रों से पढ़ाई पर ध्यान देने की सलाह दी और उनकी शिकायत को सौहार्द्रपूर्ण तरीके से सुलझाने का प्रयास किया। इधर स्कूल प्रबंधन ने भी दोनों छात्रों और उनके पालकों को बुलाकर बातचीत की और समझाइश दी, जिसके बाद दोनों पक्षों ने आपस में समझौता कर लिया है।
अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन से जताई नाराजगी
घटना के बाद घायल छात्रों के अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि स्कूल में आए दिन ऐसी घटनाएं होती हैं, जिनमें छात्रों के बीच मामूली बातों पर विवाद बढ़ जाता है। उनका मानना है कि अगर स्कूल प्रशासन शुरुआती शिकायतों पर ध्यान देता और उचित कदम उठाता, तो ऐसी नौबत नहीं आती।
वर्जन
मामले की जानकारी मिली है, पूरी गंभीरता से मामले की जांच कराई जाएगी। जांच मे जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर दोषी पर कार्रवाई की जाएगी।
टीआर साहू, जिला शिक्षा अधिकारी
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करंट के खतरे के बीच पढ़ाई: हाई कोर्ट ने जनहित याचिका किया निराकृत
सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए करंट के खतरे को लेकर हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद शासन ने जवाब में बताया कि अब स्कूल के आसपास का विद्युत सिस्टम सुरक्षित कर दिया गया है। इस जवाब के बाद हाई कोर्ट ने इस याचिका को निराकृत कर दिया है।
इस मामले में 23 सितंबर को एक समाचार में स्कूल में करंट के खतरे का उल्लेख किए जाने पर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। सुनवाई के दौरान सामने आया कि शासकीय प्राथमिक शाला तुरकाडीह के छात्रों को करंट लगने का गंभीर खतरा था। स्कूल भवन की जर्जर छत के ऊपर से गुजर रहे अवैध बिजली कनेक्शन के तारों के कारण छत में करंट की आपूर्ति हो रही थी, जो किसी भी समय दुर्घटना का कारण बन सकता था। स्कूल के आसपास लगे ट्रांसफार्मर से कई ग्रामीणों ने अवैध कनेक्शन ले रखे थे, जिससे 139 बच्चों की जान खतरे में थी।
शिकायतों के बावजूद बिजली विभाग और शिक्षा विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की थी, जिससे इस स्थिति पर हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए शिक्षा विभाग से मामले में जानकारी मांगी थी। अदालत के निर्देश पर सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग से व्यक्तिगत शपथ पत्र प्रस्तुत करने को कहा गया था। बुधवार को शासन ने कोर्ट को बताया कि, स्कूल की छत के ऊपर से गुजरे सभी तार हटा दिए गए हैं और विद्युत प्रणाली को सुरक्षित कर लिया गया है। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने याचिका को निराकृत कर दिया।