पर प्रकाश डाला गया
- विद्यार्थियों ने सनातन संस्कृति एवं समाज विषय पर कहानी।
- नईदुनिया गुरुकुल में बच्चों को दी जाती है पाठ्यपुस्तकों की शिक्षा।
- विद्यार्थियों को महत्वपूर्ण संस्कार एवं जीवन मूल्य सिखाया गया।
नईदुनिया प्रतिनिधि,बिलासपुर। नईदुनिया गुरुकुल में इस सप्ताह संस्कृति एवं समाज विषय पर एक प्रेरक कहानी प्रकाशित की गई थी। शनिवार को मनोविज्ञानी डी. कुमार ने तीन प्रमुख स्कूल के छात्रों को बताया। महत्वपूर्ण संस्कार और जीवन मूल्य सिखाया। छात्रों ने कहा कि परिवार और समाज के संस्कार हैं।
संस्कारशाला
किशोर मन की बात में लेखिका अमृता सिंह ने यह कहानी लिखी है। शंकर नगर, कोनी स्थित पब्लिक कृष्णा स्कूल और आंध्र समाज माध्यमिक शाला में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विचारधारा डी.कुमार ने छात्रों को यह कहानी बताई। इस कहानी के माध्यम से बच्चों को परिवार के रिश्ते की, भावनाओं की समझ, और समाज में अपनी एकता का एहसास कराया गया।
दिखाए गए पात्र रूडी, धानी और मां एकता के माध्यम से बच्चों को यह सिखाने का प्रयास किया गया कि हमारे सामाजिक मूल्य और परंपराएं कैसे बेहतर इंसान बनें। उन्होंने इस बात पर जोर देकर कहा कि छोटे-छोटे सहयोग और समझदारी भरे कदम समाज को मजबूत बनाते हैं और हमें अपने रिश्ते की डोर को समझने में मदद करते हैं।
अलग-अलग में अलग-अलग मोहरे
इस सिद्धांत में इस कहानी को अलग-अलग तरीकों से प्रस्तुत किया गया है। फ्रेंचाइजी माध्यमिक शाला शंकर नगर में बच्चों ने इसे बड़े ध्यान से सुना और जोड़ी के साथ खुद को बनाया। बच्चों ने अपने घर के अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि वे अपने भाई-बहनों और माता-पिता के साथ कैसे मिज़ाज करते हैं। दूसरी ओर कृष्णा पब्लिक स्कूल के छात्रों ने कहानी के माध्यम से सामाजिक सिद्धांत और अपने व्यक्तिगत नमूने को बेहतर तरीके से समझाया। आंध्र समाज स्कूल में बच्चों से चर्चा की गई कि वे अपने परिवार में किस तरह से सहयोग बढ़ा सकते हैं और समाज में अपनी एकता का पालन कर सकते हैं।
बच्चों का अनुभव
भावनाओं को सूचीबद्ध करना आवश्यक है
आदित्यकृष्णा पब्लिक स्कूल के 11वीं के छात्र आदित्य अग्रवाल ले ने कहा कि इस कहानी से मैंने सीखा कि रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए हमें एक-दूसरे की भावनाओं को बढ़ावा देना जरूरी है। मैं अब अपने छोटे भाई की मदद करने की कोशिश करूंगा। जब भी उसकी जरूरत हो.
विरासत का सम्मान जायेगा
सुमनशंकर नगर स्कूल कक्षा 12वीं के संस्थापक सुमन यादव ने कहा कि मुझे लगा कि हमें अपनी संस्कृति और संप्रदाय का सम्मान करना चाहिए। मैंने सोचा है कि इस बार दीपावली पर मैं अपने माता-पिता की मदद करूंगी और घर के सामान में हिस्सा लूंगी।-
भाई-बहनों पर गुस्सा नहीं
रीतआंध्र सोसायटी स्कूल के कक्षा 11वीं के छात्र रीतावत राव ने कहा कि सुनकर मुझे समझ आया कि हमें अपने परिवार के सदस्यों के प्रति गुस्सा नहीं करना चाहिए। मैंने ठान लिया है कि अब से मैं अपने बड़े भाई से किसी भी बात पर बहस नहीं करूंगा।