संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय में प्रोफेसर अशोक सहित अन्य पितृगण समय पूर्व हटाये जा रहे हैं

पर प्रकाश डाला गया

  1. कार्यकुशल आंतरिक विवाद का कारण प्रभावित हो रहा था
  2. प्रो अशोक सिंह मूलत: वाराणसी के रहने वाले हैं। उनका कहना अभी सात महीने बचा हुआ है
  3. 16 वर्ष में एक बार का दीक्षा समारोह आयोजित हुआ

नईदुनिया प्रतिनिधि, अंबिकापुर : संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय अंबिकापुर सरगुजा के आदर्श प्रो अशोक सिंह का जाना तय है। वे अन्य पितृपुरुष भी धारा 52 के तहत हटाए जा रहे हैं। पूर्व विद्वत कांग्रेस के पुरातत्व विभाग में राष्ट्रपति पद के संरक्षक को भी इसी प्रक्रिया के तहत पद से हटाया गया था। कुलपति की उपाधि सरगुजा कमिश्नर को दी गई थी। उनके बाद प्रो अशोक सिंह को यहां भेजा गया था। का पितृपुरुष नियुक्त किया गया था। प्रो अशोक सिंह मूलतः वाराणसी के रहने वाले हैं।

संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय में पितृ पक्ष के रूप में प्रो अशोक सिंह की सलाह के बाद ही यहां समन्वय की कमी और आंतरिक गुटबाजी के कारण पर्यावरण मित्रता होने का आरोप लगाया गया था। कर्मचारियों की समस्या के अलावा हितों की अनदेखी के आरोप लगाए जा रहे थे। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद विश्वविद्यालय में उनके गौरव के संस्थान की स्थापना की गई, जहां से फादर को हटाने की मांग शुरू हो गई थी। इसी बीच राज्य महिला आयोग में उनके खिलाफ याचिका दायर की गई थी। आयोग ने इस प्रकरण में आवाज उठाते हुए नोटिस भी जारी किया था। अवसर ऐसे आए थे जब सार्वजनिक रूप से पिल्लर के कार्य को लेकर रैस्टोरैंट ने भी जारी किया था। निराधार कुल सचिव से उनका विवाद भी सार्वजनिक रूप से चुकाया गया था। संग्रहालय के कुल सचिव विनोद एक्का का यहां से अवकाश कर दिया गया था। खबर है कि मौजूदा कुल सचिव से शुरुआती दिनों में बेहतर तालमेल था। बाद में बैज़ को बदल दिया गया। कुलपति का निर्णय विश्वविद्यालय के हित में नहीं था। इस पर विश्वास करने के लिए फादरलैंड ने महत्वपूर्ण तत्वों पर हस्ताक्षर करने का मन बना लिया था। तीन अक्टूबर को राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग की ओर से धारा 52 की अधिसूचना जारी की गयी। इस अधिसूचना के साथ ही पितृ पक्ष की साड़ी शक्तियां भी जारी की गई हैं। नए माता-पिता की नियुक्ति के लिए यह प्रक्रिया होती है। उम्मीद है कि नए पितृ पक्ष की दवा जल्द ही होगी।

विश्वविद्यालय के हितों की अनदेखी

संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय में प्रशासन, मंडल, आंतरिक विवाद एवं समन्वय के अभाव के कारण आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक वातावरण का अभाव तथा विश्वविद्यालय में सामान्यतः गिरावट का आरोप है और इन सार्वजनिक पदों के अलावा कई तत्वों को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसी वजह से राज्य सरकार ने कड़ा फैसला लिया। महिला आयोग में पितृ पक्ष के खिलाफ याचिका, वित्तीय घाटा, नए भवन के निर्माण में अरुचि जैसे कई कारण हैं जो उनके निष्कासन के लाभ में गिने जा रहे हैं।

बाद में केमिस्ट को अपना भवन मिल गया

संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय की स्थापना 2008 में हुई। इस विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद बिलासपुर और रायगढ़ में विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। रायगढ़ और बिलासपुर विश्वविद्यालय के स्वयं के भवन में बेहतर सुविधाएं संचालित हो रही हैं लेकिन संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय का आज तक स्वयं का भवन नहीं बन सका। विश्वविद्यालय के आयोजनों के नाम पर निजी क्षेत्र में आंशिक व्यय विश्वविद्यालय द्वारा उस राशि का भुगतान किया जाता है, जिसमें विश्वविद्यालय के कई भवन पूर्ण हो सकते थे, लेकिन फादर ने इस ओर पहले ही काम नहीं किया। 16 वर्ष में एक बार का दीक्षा समारोह आयोजित हुआ। उसके बाद फिर से प्रक्रिया कोल्ड बस्ट में चली गई है।

Keep Up to Date with the Most Important News

By pressing the Subscribe button, you confirm that you have read and are agreeing to our Privacy Policy and Terms of Use