पर प्रकाश डाला गया
- भाजपा के समर्थक वैभव मोहन अग्रवाल अब अल्पसंख्यक बन गये हैं।
- यहां चुनावी लड़ाई वाले बंधक ऑर्केस्ट्रा की हो जाती है ज़मानत ज़मानत।
- बीजेपी और कांग्रेस ने अभी तक नहीं पाई अपनी पार्टी का चयन।
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया रायपुर। रायपुर दक्षिण विधानसभा का बिगुल बजाते ही अब तरह-तरह के स्टॉक एक्सचेंज जा रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा थोक इस बार सोलो में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि सोलो में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस में होगा और इस बार और घट सकता है। पिछले चुनाव में रायपुर साउथ में बार-बार यही कहा जा रहा है कि यहां पर इन्वेस्टमेंट मैथ के सबसे ज्यादा संख्या में एकजुटता देखने को मिल रही है और इस साल ऐसा देखने को नहीं मिलेगा। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण बहुत से कारण माने जा रहे हैं।
असुविधा चयन के लिए चल रहा है मनमथ
भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही अभी तक इस सीट से अपनी पार्टी का चयन नहीं किया है। दोनों ने ही इस कश्मकश में कहा है कि रायपुर साउथ से स्टाटेगेट प्लॉट में आतिथ्य को लेकर विवाद किया गया है। बीजेपी ने दो दिन पहले ही थ्री कॉलोनी का मुख्यालय भेजा था, लेकिन अभी तक नाम तय नहीं हुआ है। बीजेपी इस कशमकश में है कि अनुभव को नैतिकता दी जाए या किसी नए चेहरे को लाया जाए। वहीं कांग्रेस में यह देखा जा रहा है कि बीजेपी से कौन सा कॉनफील हो रहा है।
इजाज़त ने प्रचार-प्रसार शुरू किया
दोनों ही प्रोटोटाइप के प्रमुख लेखकों ने अब इंटरनेट मीडिया के साथ मिलकर व्यक्तिगत संपर्क कर अपना प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया है और वोट समर्थक लगे हुए हैं।
सालवार छोटी रही दुकान
वर्ष | की पसंदीदा संख्या |
2008 | 22 |
2013 | 38 |
2018 | 46 |
2023 | 22 |