पर प्रकाश डाला गया
- बेटी ने बीमार पिता को लिवर डोनेट कर बचाया जान।
- सफल लिवर ट्रांसप्लांट के बाद पिता ने डांस किया।
- लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित थे पिता।
नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर। मां- किसी भी बाप अपने बच्चों के लिए कुछ न कुछ करते हैं और उनकी रक्षा के लिए भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी बेटी के बारे में बता रहे हैं, जिसने जिंदगी बचाने के लिए अपने पिता का लीवर दान कर दिया है।
छत्तीसगढ़ की बेटी ने अपने पिता के जीवन में नई रोशनी की मूर्ति बनाई है। तिलदा निवासी 50 वर्षीय अनिल कुमार यादव लिवर सिरोसिस जैसी घातक बीमारी से पीड़ित थे। पिछले दो वर्षों से वह श्री नारायणा अस्पताल में अपने इलाज के लिए आ रहे थे।
इलाज के दौरान अभियोजकों ने अपनी जांच की और बताया कि उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता है। इस गंभीर स्थिति में, उनकी बेटी वंदना यादव राठी ने भी जांच की, और पाया कि उनका जिगर उनके पिता के लिए उपयुक्त है।
इसके बाद विंद ने 6 अक्टूबर को अपने लिवर का 60 फीसदी हिस्सा अपने पिता को देने का फैसला लिया। ऑपरेशन के केवल पांच दिन बाद विंद को संविधान कर दिया गया और 10 दिन बाद अनिल यादव को भी स्वस्थ घर जाने की अनुमति मिल गई।
रोगी को सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी हो गई थी
50 साल के अनिल कुमार यादव को लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी से राहत मिली। अनिल कुमार यादव ने बताया कि उन्हें लंबे समय से पीलिया और पेट में पानी की कमी की समस्या का सामना करना पड़ रहा था। लिवर के ख़राब होने के कारण उन्हें बार-बार पीलिया हो जाता था, और कभी-कभी उनकी स्थिति इतनी ख़राब हो जाती थी कि वे असंतुलित हो जाते थे। इसके अलावा, उन्हें खून की उल्टी भी हुई, जिस कारण उनकी सेहत खराब रही और उन्हें बार-बार अस्पताल में भर्ती करना पड़ा।
श्री नारायण एवं हॉस्पिटल में लिवर ट्रांसप्लांट जीआई के सर्जन डॉ. हितेश दुबे, रेजिडेंट के लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. सचिन बी. डागा और उनकी पूरी टीम ने इस ऑटोमोबाइल ऑपरेशन को अंजाम दिया। उनकी चिकित्सा टीम में फ़िज़िशियन डॉ. भाविक राह और एनेस्थेटिक डॉ. सोपी बट्टी एवं डॉ. निशात टूरिस्ट भी शामिल थे।
अनिल ने अपनी बेटी के लिए इस महान कार्य के लिए साझेदारी की, और उन्होंने खुशियाँ साझा करते हुए कहा कि यह उनके लिए एक नई जिंदगी की शुरुआत है।