नईदुनिया न्यूज, बिलासपुर। पूर्व विधायक मिश्रीलाल खत्री की पत्नी पुष्पारा देवी खत्री ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिका कर पेंशन की मांग की है। ग्रेटर ने पेंशन के लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा सदस्य और पेंशन नियम के नियम 3 जी के संवैधानिक पद को भी चुनौती दी है। मामले की सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने राज्य शासन एवं सचिव छत्तीसगढ़ विधानसभा को नोटिस जारी कर इस संबंध में जवाब पेश करने की बात कही है।
पुष्परा देवी खत्री ने नक्सली सुशोभित सिंह के माध्यम से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। इसमें संवैधानिक गठन को लेकर प्रश्न खड़ा किया गया है। सूची के अनुसार उनके पति मिश्रीलाल खत्री संजारी बलोद (वर्तमान में विलोपिट) के पूर्व विधायक थे। उनका निधन 1977 से लेकर 1979 तक हुआ। उनका 1996 में निधन हो गया। पूर्व दोषियों के निधन के बाद स्कॉटलैंड राज्य ने पेंशन बंद कर दी।
सचिव ने इन नवीन का दिया निरीक्षण
सूची के अनुसार पूर्व विधायक की पत्नी ने राज्य शासन एवं सचिव के लिए कुटुंब पेंशन की घोषणा की, छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए समग्र आवेदन प्रस्तुत किया गया था। इसे खारिज कर दिया गया। सचिव ने लिखा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा सदस्य वेतन और पेंशन नियम 2006 के नियम 3 जी के अनुसार कुटुंब पेंशन केवल कुछ प्रकरणों में प्रावधान किया गया है जिसमें पूर्व विधानसभा सदस्य की मृत्यु 2005 के बाद हुई है। वर्तमान प्रकरण में पूर्व नेता मिस्री लाल खत्री की मृत्यु 1996 में हो गई है, पेंशन नहीं दी जाएगी।
वामपंथी के कट्टरपंथियों ने कहा-मूल अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है
कांग्रेस के पूर्व विधायक सुशोभित सिंह ने कोर्ट के समक्ष पैरवी करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा सदस्य वेतन और पेंशन अधिनियम 1972 की धारा 6 ख के अनुसार पूर्व विधायक के कुटुंब सदस्य की मृत्यु तिथि से पूर्व विधायक के कुटुंब सदस्य पेंशन प्राप्त करने के पात्र हैं। नियम 3 जी मूल अधिनियम छत्तीसगढ़ विधानसभा सदस्य वेतन और पेंशन अधिनियम 1972 की धारा 6 ख की सर्वथा के विपरीत है, मूल अधिनियम के प्रावधान का स्पष्ट उल्लंघन है। फाइल में बताया गया है कि कार्यपालिका द्वारा बनाए गए किसी भी नियम मूल अधिनियम का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है।