मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में कैबिनेट ने बुधवार को कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। अब पांचों प्राधिकरणों की कमान सीधे मुख्यमंत्री संभालेंगे। इसके साथ ही सरकार ने अब लाइसेंस धारकों की जगह अंग्रेजी शराब सीधे शराब कंपनियों से खरीदने का निर्णय लिया है। साल 2012 में भाजपा सरकार ने छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछडावर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन किया था।
आदिवासी व पिछड़े क्षेत्रों में विकास के लिए विष्णु देव साय मंत्रिमंडल ने बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जिसमें बस्तर विकास प्राधिकरण, सरगुजा विकास प्राधिकरण, मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण व छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण के पुनर्गठन का निर्णय लिया गया। इन पांचों प्राधिकरणों की कमान अब सीधे मुख्यमंत्री संभालेंगे।
अंग्रेजी शराब सीधे शराब कंपनियों से खरीदने का निर्णय
इसके साथ ही सरकार ने अब लाइसेंस धारकों की जगह अंग्रेजी शराब सीधे शराब कंपनियों से खरीदने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने यह कदम शराब खरीदी-बिक्री में पारदर्शिता लाने व गड़बड़ियों की आशंका को खत्म करने के लिए उठाया है। राज्य सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के नियमों में परिवर्तन करते हुए पांचों प्राधिकरणों की कार्य प्रणाली को प्रभावी एवं सशक्त बनाने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री इन प्राधिकरणों के अध्यक्ष होंगे
प्राधिकरण में स्थानीय विधायकों में से एक विधायक को इसका उपाध्यक्ष मनोनीत किया जाएगा। क्षेत्रीय विधायक इन प्राधिकरणों के सदस्य होंगे। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अथवा सचिव इन पांचों प्राधिकरणों के सदस्य सचिव होंगे। मुख्यमंत्री इन प्राधिकरणों के अध्यक्ष होंगे। इससे पहले पूर्ववर्ती सरकार में स्थानीय विधायकों को ही अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जा रही थी। मंत्रालय में आयोजित बैठक में मंत्रिमंडल ने पांचों प्राधिकरणों के पुनर्गठन एवं निधि नियम के प्रस्ताव का अनुमोदन किया।
भाजपा ने जो नियम बनाए कांग्रेस ने उसे 2019 में बदल दिया था
वर्ष 2004-05 में बस्तर, सरगुजा एवं अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण का गठन तत्कालीन सरकार ने किया था। वर्ष 2012 में भाजपा सरकार ने छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछडावर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन किया। इन प्राधिकरणों के अध्यक्ष मुख्यमंत्री हुआ करते थे।
वर्ष 2019 में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने इन प्राधिकरणों के कार्य संचालन की प्रक्रिया में परिवर्तन किया। इससे प्राधिकरणों का महत्व कम हो गया। उनके कार्यों की मानिटरिंग पर प्रभावी नियंत्रण नहीं रह गया था। अब इन प्राधिकरणों की निगरानी सीधे मुख्यमंत्री सचिवालय से होगी।