HighLights
- सीएम बोले- मोदी की गारंटी के अनुरूप 21 क्विंटल हो रही धान की खरीदी।
- केंद्र पर माइक्रोएटीएम से 2000-10,000 रुपये तक निकासी की व्यवस्था।
- पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने धान खरीदी के वादे को बताया बताया जुमला।
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, रायपुर। धान खरीदी के मामले में विपक्ष के हमलों के बीच मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भी आक्रामक रुख अपना लिया है। मुख्यमंत्री साय ने दो टूक कह दिया है कि विधानसभा चुनाव के दौरान हमारे द्वारा दी गई मोदी की गारंटी के अनुरूप इस वर्ष भी किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान के मान से ही धान खरीदी की जा रही है। किसानों को इस मामले को लेकर किसी प्रकार का भ्रम नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में भ्रम फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इधर, धान खरीदी मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाया कि केवल बोर्ड में लिख दिया है कि 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी हो रही है, मगर धान खरीदी केंद्रों में इतनी धान नहीं खरीदी जा रही है।
धान खरीदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता: साय
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि धान खरीदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। राज्य सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ प्रदेश के पंजीकृत किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी कर रही है। किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए उपार्जन केंद्रों के माईक्रोएटीएम से 2000 रुपये से लेकर 10 हजार रुपये तक की राशि निकालने की सुविधा भी दी गई है।
इससे किसानों को धान बेचने परिवहन के लिए किराये पर लिए गए ट्रैक्टर, मेटाडोर आदि का भाड़ा और हमाली मजदूरी का भुगतान करने में सुविधा होगी। 14 नवंबर से शुरू हुई धान खरीदी अभियान 31 जनवरी 2025 तक चलेगा। खरीफ वर्ष के लिए 27.68 लाख किसानों द्वारा पंजीयन कराया गया है। इसमें 1.45 लाख नए किसान शामिल है। इस वर्ष 2739 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से 160 लाख टन धान खरीदी अनुमानित है।
21 क्विंटल धान का बोर्ड लगा दिए, नहीं हो रही खरीदी: भूपेश
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इंटरनेट मीडिया एक्स पर लिखा कि किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी को बंद कर दिया गया है। किसानों से किया गया ये वादा भी जुमला साबित हो रहा है। हम शुरू से ही कह रहे हैं कि इस सरकार की नीयत धान खरीदी की नहीं है, केवल धान खरीदी का बोर्ड लगा दिए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को टोकन नहीं मिल रहा है। किसान टोकन ले भी लेता है तो सर्वर डाउन की समस्या से जूझना पड़ रहा है। बारदाने की कमी है। धान उठाव की प्रक्रिया में भी बदलाव कर दिया है।