ट्रैप कैमरे में बाघ, भैंस और गाय का शिकार दिखाया गया, चार दिनों से चल रहा विचरण

पर प्रकाश डाला गया

  1. एक महीने से बाघ देखने जाने का दावा कर रहे थे ग्रामीण
  2. हो सकता है इसी क्षेत्र में बाघिन ने किया था हमला
  3. टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद पहली बार नजर बाघ पर पड़ी

नईदुनिया प्रतिनिधि, अंबिकापुर। टेरी जंगल भी गुरुघासीदास टाइगर रिजर्व की सीमा से लगा हुआ है। बाघ नज़र आने से टाइगर रिजर्व प्रबंधन भी उत्सुक है। चार दिन से बाघ एक ही क्षेत्र में विचरण कर रहा है। सूरजपुर जिले से लगे पटना क्षेत्र के टेरी से लगे जंगल में बाघ द्वारा वन्य जीवों का शिकार करने की सूचना वन विभाग को दी गई थी। इस क्षेत्र में पहले कभी भी बाघ की छलकदमी नहीं थी, इसलिए अवशेषों के दावे पर विभाग को भरोसा भी नहीं था, लेकिन जंगल के जंगल की खोज और जंगल के गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व क्षेत्र से जुड़े रहने के कारण सरकार के आधार पर जंगल के जंगल में ट्रैप कैमरे लगाए गए थे।

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जिस दिन ट्रैप कैमरे लगाए गए उस दिन और रात में कोई भी राक्षसी कैमरे कैद नहीं हुए। अगले दिन सुबह करीब आठ बजे बाघ उस स्थल पर पहुंचा जहां उसने भैंस का शिकार किया था। बफ़ेलो के शेष बचे हुए मांस का आराम से सेवन करें। इसी क्षेत्र में उसने एक गाय का भी शिकार किया था। उसका मांस भी खाया गया था। आस-पास के जंगल में भी इसी तरह के लोग शिकार की व्यवस्था करते थे। बाघ के जानवर आ जाने के बाद सभी को वन्यजीवपालकों ने वापस गांव ले आया है। प्रभावित क्षेत्र में लोग हैं। रीयल्टी को जंगल में जाने की भी सलाह दी जा रही है।

एक महीने से बाघ देखने जाने का दावा कर रहे थे ग्रामीण

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सूरजपुर जिले के ओड़गी और कुदरगढ़ वन परिक्षेत्र में पिछले एक महीने से ग्रामीण क्षेत्र में यह दावा किया जा रहा था कि क्षेत्र में बाघ की चाल है, लेकिन विभाग को इस पर विश्वास नहीं हो रहा है। ये भी मिले थे लेकिन इसकी गुप्तचर से जांच नहीं हुई थी। भैयाथान विकासखंड के बड़सा निवासी मनोज यादव समेत कई अन्य आदिवासियों को जंगल में रखा गया था, ताकि चरा की व्यवस्था हो सके। उस दौरान मनोज यादव के दो रिश्तेदारों का भी शिकार हुआ था, इसके बाद भी बाघ के होने की पुष्टि नहीं हो रही थी। आख़िरकार टेरी के निकटवर्ती वन विभाग की ओर से लगाए गए ट्रैप कैमरे में बाघ की स्पष्ट तस्वीरें कैद हुई हैं।

इसी क्षेत्र में बाघिन ने रिवॉल्यूशन पर हमला किया था

दो साल पहले ओडिगी क्षेत्र में ही एक बाघिन ने रिवॉल्यूशन पर हमला किया था। आत्मरक्षार्थ टाँगी के हिट से बाघिन भी ढह गई थी। घायल बाघिन की सुरक्षित तरीके से पहचान की गई। बाद में इसे रायपुर ले जाया गया। पशु-जीव अवशेषों की व्याख्या में उपचार के बाद बाघिन स्वस्थ्य हुई थी। इस बाघिन को बिलासपुर के प्लास्मर टाइगर रिजर्व में बंद कर दिया गया है। ओड़गी का यह विशाल गुरुघासीदास टाइगर रिजर्व से लगा हुआ है।

टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद पहली बार नजर बाघ पर पड़ी

छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंघला अभयारण्य क्षेत्र को संपूर्ण नया टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है। गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान, अविभाजित मध्य प्रदेश के बेस में संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान का ही हिस्सा था। राज्य विभाजन के बाद इसे अलग कर दिया गया। इस क्षेत्र में बाघों की उपस्थिति के प्रमाण पहले ही मिल गए थे। तमोर पिंघला अभयारण्य क्षेत्र को कुल मिलाकर टाइगर रिजर्व का हिस्सा बनाया गया है। टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद पहली बार बाघ नजर आया। इसी से बाघ बाघ के सूरजपुर और कोरिया जिले के द्वीप क्षेत्र में पहुंचने की संभावना है। ट्रैप कैमरे में कैद बाघ काफी बड़ा और तंदुरुस्त है। टाइगर रिज़र्व मैनेजमेंट में टाइगर नज़र आने से आपका हौसला भी बढ़ता है।

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