पर प्रकाश डाला गया
- चंद्रमा प्राचीन काल में मैग्मा महासागर में था।
- चंद्रयान-3 अभियान में निशांत सिंह शामिल हैं।
- शहर प्रदेश सहित के लिए यह गर्व की बात है।
कोटासेन गुप्ता, अंबिकापुर : राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस से पहले भारतीय वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के रहस्यों को लेकर नई जानकारी साझा की है। इसमें बताया गया है कि चंद्रमा प्राचीन काल में मैग्मा महासागर था। अंबिकापुर शहर के लिए यह गर्व की बात है कि चंद्रमा के रहस्यों की खोज में चंद्रयान-3 अभियान में अंबिकापुर के निशांत सिंह भी शामिल हैं। इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक निशांत सिंह वर्तमान में भौतिक अनुसंधान (पीआरएल) में अपने व्यवसाय दे रहे हैं।
पीआरएल में विकसित विज्ञान रोवर पर ला अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोनॉम्टर (एपीएक्सएस) के निर्माण में अन्य विज्ञानियों के साथ निशांत भी शामिल थे। एपीएक्सएस से चंद्रा मिट्टी के संपादकीय के डेटा का विश्लेषण किया गया है। यह शोध नेकर जर्नल में राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस से ओके पहले प्रकाशित किया गया है। वरिष्ठ वैज्ञानिक निशांत सिंह का कहना है कि हम सभी विज्ञानियों के लिए यह बेहद सुखद है कि भारत के चंद्रयान-3 से चंद्रमा के रहस्यों को पुनर्जीवित करने में मदद मिल रही है।
शोध से यह धारणा स्थापित हुई कि चंद्रमा की सतह पिघली हुई थी। चंद्रयान-3 मिशन के डेटा का उपयोग करके चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के आसपास की मिट्टी का पहली बार विश्लेषण किया गया है। चंद्रयान-3 में उन्होंने अन्य विज्ञानियों के साथ मिलकर जो उपकरण तैयार किए, उनके बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। इसरो के नेचर जर्नल में इस शोध को पढ़ा जा सकता है। नवीनतम हो कि चांद पर उपलब्ध सामग्री के अध्ययन के उपकरण निर्माण में निशांत सिंह भी शामिल थे।
वरिष्ठ वैज्ञानिक निशांत सिंह, अंबिकापुर के गोधनपुर निवासी अनिल सिंह के सुपुत्र हैं। शहर के निशांत सिंह के साथ इसरो के विज्ञानियों की टीम ने ही चंद्रयान-3 में एक उपकरण लगाया है जो चांद पर मिट्टी सहित अन्य छात्रों का अध्ययन कर रहा है। निशांत की टीम ने अल्फा पार्टिकल एक्स – रे स्पेक्टरोमीटर चंद्रयान-3 की स्थापना की है।
अहमदबाद में नौकर दे रहे निशांत
निशांत सिंह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद में वरिष्ठ वैज्ञानिक (सीनियर साइंटिस्ट) के पद पर कार्यरत हैं। यही कारण है कि निशांत को चंद्रयान – 3 के सफल प्रक्षेपण का हिस्सा बनाया गया था। वे पुराने वैज्ञानिकों की टीम में शामिल थे, चंद्रयान -3 में अल्फा पार्टिकल एक्स रे स्पेक्ट्रानोमेट्रोमीटर में योगदान दिया गया है।
इसी उपकरण के माध्यम से यह यान चंद्रमा में मिट्टी, पत्थर जैसे पदार्थों का विश्लेषण कर रहा है। चंद्रयान – 3 के रोवर (प्रज्ञान) का पेलोड अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (पीएक्सएस) का निर्माण इसरो के पाइलीन स्थित भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिकों (सीनियर सैंटिस्टस) की टीम ने किया है। इस टीम में वे भी शामिल थे।