प्राथमिक पात्र, गरियाबंद। सितलजीजोर-धुरुवापारा मार्ग पर 262.29 लाख लागत वाले धुरुवा नाला का निर्माण कार्य जनवरी 2017 में शुरू हुआ, जो कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार 30 सितंबर को पूरा हो गया था। लेकिन 65.78 मीटर लंबे इस पूल की नींव को बाढ़ से मजबूर करने वाले तो दीवार को अधूरा छोड़ दिया गया है। तय टेक्निकल के सिद्धांतों के अनुसार मोटरसाइकिल नंबर 17 और 18 में भी इसका जिक्र है। अनुबंधित कम्पनी मेसर्स कैलाश अग्रवाल राजपूत कोटा द्वारा तो वाल में पिचिंग का कार्य नहीं किया गया। इस कार्य का बजट लगभग 10 लाख था। विभाग ने इस नोट को एक साल तक रोक भी दिया था, लेकिन बाद में रिलीज भी कर दिया। अब राजनीतिक कार्य को पूरा करने के लिए इस खेल को लेकर विभाग के कार्यशैली पर कई प्रश्न उठ रहे हैं।
बुज़ुर्ग पल्ला झाड़ा हुआ ईई बोले करना पेज
केस को लेकर जब हमने काम का सत्यापन करने वाले जेसन से बात की तो उन्होंने बहुत दिन तक काम किया, फिर याद आया कि नहीं होने का कारण अपना पल्ला झाड़ना था। कार्य को पूर्ण रूप से प्रदर्शित करने से पहले अवसर भुगतान करने वाले कार्यपालन इंजीनियर आर बी सोनी का उत्तर चौकाने वाला था। ईई बोले के काम में देरी हो गई थी, बजट में कमी आई थी, उसे पहले पूरा बताया गया था, हमने पिचिंग की राशि रोक ली थी, अब कर लिया जाएगा।
कार्य प्रणाली पर उठ रहा प्रश्न
काम को पूर्ण नामांकन अब 16 माह बाद हुआ,बकायदा इस पूल मेंटेनेंस का काम भी शुरू हो गया। ठेका कंपनी को इसकी कीमत भी जारी हो रही है। चौधरी प्राक्कलन के आधार पर कार्य के लिए विचार किया जा सकता है कि सभी वस्तुओं पर काम नहीं हुआ तो उसे पूरा नहीं बताया जा सकता। इस कार्य में ईई के सत्यापन में भी पिचिंग कार्य की अनदेखी हुई, उपकृत करने वाली ठेका कंपनी को फाइनल बिलिंग कर कार्य के बारे में पूरा बताया गया। निर्माण कार्य में इस महत्वपूर्ण बिन्दु की अनदेखी कर पुनरावृत्ति से इस अनियमितता को अंजाम दिया गया है।
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