आवक भरपूर लेकिन उठाव नहीं : संग्रहण केंद्रों में खरीदी नहीं होने किसानों की बढ़ी चिंता, खुले आसमान के निचे पड़ा है धान

06-Jan-24

कोरबा/जगदलपुर : छत्तीसगढ़ में एक नवंबर 2023 से धान खरीदी का महाअभियान निरंतर जारी है. प्रदेश में अब तक किसानों से 74.28 लाख मीट्रिक अधिक धान की खरीदी की गई है. वहीं धान खरीदी केंद्रों में धान का उठाव नहीं हो रहा है, जिससे केंद्रों में परेशानी बढ़ गई है. ऐसा ही मामला कोरबा और बस्तर जिले से आया है.
कोरबा के पोंडी उपरोडा ब्लाक में धान खरीदी केन्द्रों में धान की बंपर आवक हो रही है. लेकिन केन्द्रों में धान जाम की स्थिति बन गई है. पोंडी उपरोडा ब्लॉक में 12 केंद्रों में बफर स्टाक पार कर गया है और धान रखने के लिए जगह नहीं है. इन केंद्रों में पांच से दस हजार क्विंटल धान रखने की ही क्षमता है. ऐसे में इन केंद्रों में धान खरीदी करने में समस्या आ रही है. पोंडी उपरोडा, मोरगा, कोरबी, सिरमिना व अन्य धान खरीदी केंद्र में सबसे बड़ी समस्या हो रही है यहां जगह छोटी व धान का सही समय पर उठाव न होने के कारण ट्रेक्टर से लाये धान को किसान सड़क पर ही खड़ा कर दे रहे हैं. प्रबंधक ने बताया कि धान का आवक बढ़ गया है और डीओ कटने के बाद भी धान का उठाव नहीं हो पा रहा है, स्थिति यह है कि समिति के पास जगह की कमी होने के कारण यदि एक सप्ताह में धान का उठाव नहीं हुआ तो अगले सप्ताह से किसानों का टोकन काटना बंद करना पड़ेगा.
बस्तर जिले में धान उठाव नहीं होने से अब खरीदी प्रभावित होने लगी है. बस्तर जिले के 95 फ़ीसदी केंद्र ऐसी स्थिति में पहुंच चुके हैं. जहां धान अब बफर लिमिट को पार कर गया है. अगले एक से दो दिनों में अगर धान का उठाव नहीं होता है तो खरीदी प्रभावित हो जाएगी खरीदी केंद्र संचालकों ने भी अब प्रशासन को इसके लिए अल्टीमेटम दे दिया है. बस्तर जिले में 79 धान खरीदी केंद्र हैं इनमें से 77 धान खरीदी केंद्रों में धान का स्टॉक बफर लिमिट के पार है. 79 केंद्रों में 86,471 टन धान खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ है.
वहीं दूसरी तरफ अब तक जिले में 21,232 किसानों से 1,14,203 टन धान की खरीदी हो चुकी है. बस्तर जिले में फिलहाल 35 मिलर्स धान का उठाव कर रहे हैं जबकि धान की मिलिंग के लिए 47 मिलर्स के साथ अनुबंध की प्रक्रिया पूर्ण हो गई है खरीदी केंद्रों से अब तक 29,718 टन धान का उठाव हो पाया है धान खरीदी केंद्र संचालकों का कहना है कि केंद्रों में इस कदर धान हो चुका है कि खरीदी के लिए अब जगह नहीं बची है.

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