Lok Shakti

Nationalism Always Empower People

SP के समर्थन के बावजूद राज्यसभा चुनाव में BSP की हार, क्या पर्दे के पीछे हुआ खेल?

उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में जनता का समर्थन न मिलने के बाद भारतीय जनता पार्टी राज्यसभा चुनाव में विधायकों की मदद से अपने उम्मीदवारों की नैया पार लगाने में कामयाब रही. शुक्रवार को राज्यसभा चुनाव के लिए हुई वोटिंग में सूबे की 10 राज्यसभा सीटों में से 9 पर बीजेपी के प्रत्याशियों को जीत मिली. संख्याबल के लिहाज से इनमें से 8 की जीत पहले ही सुनिश्चित थी, एक सीट पर सपा की जया बच्चन की जीत तय थी, जबकि एक सीट पर पेंच फंसा था.

मतदान आते-आते बीजेपी ने अपने गणित से ये सीट भी अपने नाम कर ली और बसपा उम्मीदवार को परास्त कर दिया. यानी समाजवादी पार्टी का समर्थन मिलने के बावजूद भी बसपा उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर को जीत नहीं मिल सकी.

400 विधायकों ने की वोटिंग

दरअसल, यूपी में कुल 403 विधायक हैं. इनमें से नूरपुर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक लोकेंद्र सिंह चौहान का निधन हो गया है. जबकि बसपा विधायक मुख्तार अंसारी और सपा विधायक हरिओम यादव को वोट डालने की इजाजत नहीं दी गई. इस लिहाज से कुल 400 विधायकों ने राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग में हिस्सा लिया. ऐसे में एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए किसी भी पार्टी के पास 37 विधायकों की जरूरत थी.

बीजेपी गठबंधन के पास 323

2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भारी बहुमत मिला था. पार्टी ने अपने दम पर 311 सीटों जीती थीं. जबकि उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल को 9 और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को 4 सीटें मिली थीं. लेकिन एक विधायक का निधन होने के बाद बीजेपी गठबंधन के पास कुल 323 सीटें बचीं. 8 प्रत्याशियों को जिताने के बाद भी बीजेपी के पास 27 विधायक बच रहे थे. ऐसे में पार्टी को अपने एक और उम्मीदवार अनिल अग्रवाल को जिताने के लिए 10 वोटों की दरकार थी.

जीत के लिए एक उम्मीदवार को 37 वोटों की जरूरत थी. अनिल अग्रवाल को निषाद पार्टी के विजय मिश्रा, निर्दलीय अमनमणि त्रिपाठी, सपा के बागी नितिन अग्रवाल और बीएसपी के अनिल सिंह का वोट मिला. इनके अलावा रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के करीबी विनोद सरोज और एक निर्दलीय के वोट भी अनिल अग्रवाल को मिले. इस तरह अग्रवाल को बीजेपी के 14, अपना दल के 9, सुहेलदेव पार्टी के 4, निषाद पार्टी का 1, निर्दलीय 2 और 2 अन्य समेत कुल 32 वोट मिले.

वहीं, दूसरी तरफ बीएसपी के उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर भी 37 वोटों के जादुई आंकड़ें से दूर हो गए. जिसके चलते दूसरी प्राथमिकता के वोट यहां काफी अहम हो गए. करीब सवा तीन सौ विधायकों वाले बीजेपी गठबंधन की तरफ से अनिल अग्रवाल को दूसरी वरीयता में एक तरफा वोटिंग की गई और वो 300 से ज्यादा वोट पाकर जीतने में कामयाब रहे.

पहली प्राथमिकता में अनिल अग्रवाल को 16 वोट मिले, जबकि भीमराव अंबेडकर को 32 वोट मिले. वहीं, दूसरी प्राथिमिकता में अनिल अग्रवाल को 300 से ज्यादा वोट मिले, जबकि भीमराव अंबेडकर को महज 1 वोट मिला. क्योंकि दोनों उम्मीदवार के वोट 37 के जरूरी आंकड़े से कम थे, इसलिए दूसरी प्राथमिकता के वोटों से जीत का फैसला हुआ.

ऐसे हुआ खेल

चुनाव से पहले बसपा उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित नजर आ रही थी. उन्हें बीएसपी के 19, सपा के 10, कांग्रेस के 7, राजा भैया 1, आरएलडी 1 और निर्दलीय विनोद सरोज 1 समेत कुल 39 विधायकों का समर्थन हासिल नजर आ रहा था. लेकिन बसपा के मुख्तार अंसारी को जेल से वोट डालने की इजाजत नहीं मिली. इसके बाद बीएसपी विधायक अनिल सिंह वोटिंग से एक दिन पहले बीजेपी विधायकों की मीटिंग में पहुंच गए और उन्होंने खुलेआम बीजेपी उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान कर दिया. यानी सपा के नितिन अग्रवाल और बीएसपी के अनिल सिंह ने क्रॉस वोटिंग की.

वहीं, जेल में बंद सपा विधायक हरिओम यादव को भी वोट करने की इजाजत नहीं मिली. बताया जा रहा है कि इंद्रजीत सरोज भी मतदान आते-आते अंबेडकर से दूर हो गए. इस हिसाब से बीएसपी की ताकत मतदान से पहले ही 33 वोटों तक सिमट गई और दूसरी प्राथमिकता के गणित से बीजेपी के अनिल अग्रवाल राज्यसभा पहुंचने में कामयाब रहे.