प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने सोमवार को कहा कि आज भारत (India) में कोरोना संक्रमण (Corona Virus) के मामलों में कमी आई है और इससे ठीक होने की दर 88 प्रतिशत तक पहुंच गई है. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए संभव हो सका क्योंकि भारत सबसे पहले लॉकडाउन लगाने वाले देशों में था और लोगों को मास्क पहनने के लिए प्रेरित किया.
‘ग्रैंड चैलेंजेस’ की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए अपने उद्घाटन भाषण में मोदी ने कहा कि कोविड संक्रमण का टीका विकसित करने के मामले में हम अग्रिम मोर्चे पर है और इनमें से कुछ तो ‘एडवांस स्टेज (अग्रिम स्तर)’ पर हैं. उन्होंने कहा कि आज हम देख रहे है कि देश में कोरोना संक्रमण के मामले प्रति दिन घट रहे हैं और इसकी वृद्धि की दर में भी कमी आई है. भारत में आज ठीक होने की दर भी 88 प्रतिशत हो गई है. उन्होंने कहा, ‘ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि भारत सबसे पहले लॉडाउन लागू करने वाले देशों में था. भारत पहले देशों में था जिसने मास्क के इस्तेमाल को लेकर लोगों को प्रोत्साहित किया. संक्रमण का पता लगाने के लिए भारत ने प्रभावी तरीके से काम किया और रेपिड एंटीजन जांच शुरू करने वाले पहले देशों में था.’
उन्होंने कहा, ‘हम यहीं रूकने वाले नहीं हैं. हम टीका वितरण का तंत्र भी विकसित कर रहे हैं.’ मोदी ने कहा कि भारत ने स्वच्छता बढ़ाने और शौचालयों की संख्या बढ़ाने समेत अनेक प्रयास किये हैं जो बेहतर स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में योगदान दे रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने विज्ञान और नवाचार में ‘सुनियोजित निवेश’ का आहृवान करते हुए कहा कि विश्व का भविष्य वह समाज निर्धारत करेगा जो इन क्षेत्रों में निवेश करेगा लेकिन सहयोग और जन भागीदारी इसमें प्रमुख भूमिका निभाएंगे. उन्होंने कहा, ‘भविष्य वे समाज तय करेंगे जो विज्ञान और नवाचार में निवेश करेंगे.’ उन्होंने कहा कि ये निवेश सुनियोजित होने चाहिए और अदूरदर्शी तरीके से नहीं किया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि विज्ञान और नवाचार में निवेश अग्रिम स्तर पर होना चाहिए ताकि सही समय पर इसका लाभ उठाया जा सके. नवाचारों की यात्रा को सहयोग और जन भागीदारी से निर्धारित किया जाना चाहिए क्योंकि विज्ञान कभी भी बंधी बंधाई की लकीरों में रहकर समृद्ध नहीं हो सकता.
प्रधानमंत्री ने स्वच्छता और शौचालय का दायरा बढ़ाने जैसे सरकार के कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं विकसित करने में मदद मिली है. उन्होंने कहा कि यह बैठक भारत में होना तय हुआ था लेकिन अब बदली हुई परिस्थितियों में डिजीटल माध्यम से हो रही है. ‘ग्रैंड चैलेंजेस’ पिछले 15 वर्षों से स्वास्थ्य और विकास के क्षेत्र में चुनौतियों का समाधान करने में नवाचार के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए काम कर रहा है.
इस बैठक का आयोजन 19 से 21 अक्टूबर के बीच हो रहा है. इसका उद्देश्य दुनिया भर के अग्रणी वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को एक मंच पर एक साथ लाना है ताकि उभरती स्वास्थ्य चुनौतियां का समाधान पाने के लिए वैज्ञानिक साझेदारी को और प्रगाढ़ किया जा सके. इस बैठक में विशेष जोर ‘इंडिया फॉर द वर्ल्ड’ के साथ कोविड-19 पर रहेगा. इस कार्यक्रम के माध्यम से दुनिया के नेताओं के साथ-साथ जाने-माने वैज्ञानिक और शोधकर्ता विचार-विमर्श करेंगे. मंथन के केंद्र में महामारी के उपरांत टिकाऊ विकास लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए मुख्य प्राथमिकताएं और कोविड-19 के प्रबंधन में उभर रही चुनौतियों का सामना होगा.
तीन दिवसीय कार्यक्रम में नेताओं की वार्ता, पैनल चर्चा और विभिन्न विषयों पर अनौपचारिक विचार-विमर्श होगा जिसमें महामारी से संघर्ष में वैज्ञानिक दखल, महामारी का प्रबंधन और इस महामारी तथा आगामी संभावित महामारियों से लड़ने के वैश्विक उपायों के क्रियान्वयन और विकास को बढ़ावा देना शामिल हैं. इस वार्षिक बैठक में लगभग 40 देशों के 1600 प्रतिभागियों के भाग लेने का अनुमान है. ‘ग्रैंड चैलेंजेस’ इंडिया की स्थापना भारत सरकार के जैव-तकनीकी विभाग और बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन की साझेदार से 2012 में किया गया था.
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