भारतीय रेलवे अपने यात्रियों को मात्र 45 पैसे में 10 लाख रुपये का इंश्योरेंस देता है। इस इंश्योरेंस के बारे में कई यात्रियों को जानकारी नहीं है। इस इंश्योरेंस का लाभ काउंटर टिकट वालों और जनरल डिब्बों के यात्री को नहीं मिलता है। आज हम अपने आर्टिकल में ट्रेन ट्रैवल इंश्योरेंस के बारे में विस्तार से बताएंगे।
सोमवार को पश्चिम बंगाल से ट्रेन हादसे की बड़ी खबर सामने आई। यह हादसा न्यू जलपाईगुड़ी में हुआ है। इस हादसे में मालगाड़ी की कंचनजंगा एक्सप्रेस से टक्कर हो गई जिसमे ट्रेन की कई बोगियां क्षतिग्रस्त हो गईं। हादसे में अब तक 15 लोगों की मारे जाने की खबर है जबकि कई अन्य घायल हैं।
रेल दुर्घटनाओं की वजह से बड़े पैमाने पर जानमाल की क्षति होती है। इन घटनाओं को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेलवे ने यात्रियों के लिए ट्रेन इंश्योरेंस की सुविधा दी है।इस इंश्योरेंस का प्रीमियम मात्र 45 पैसे होता है और इसमें 10 लाख रुपये तक का कवर मिलता है। कई यात्रियों को इस इंश्योरेंस के बारे में पता नहीं होता है, जिस वजह से वह इसका लाभ नहीं उठा पाते।
आज हम आपको ट्रेन के ट्रैवल इंश्योरेंस के बारे में विस्तार से बताएंगे।
क्या होता है ट्रेन ट्रैवल इंश्योरेंस?
ऑनलाइन टिकट बुकिंग करते समय रेलवे इंश्योरेंस का ऑप्शन आता है। इंश्योरेंस का ऑप्शन सेलेक्ट करने के बाद यात्री के मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी पर मैसेज आ जाता है। इस मैसेज में इंश्योरेंस कंपनी का नाम और सर्टिफिकेट नंबर होता है जो क्लेम के समय काफी काम आता है। इसके अलावा इंश्योरेंस कंपनी का हेल्पलाइन नंबर भी आता है, जहां से पूछताछ की जा सकती है।
अब बात आती है कि इंश्योरेंस कब मिलता है तो जब भी कोई रेल दुर्घटना जैसे पटरी से ट्रेन उतर जाना या फिर दूसरे ट्रेन से टक्कर हो जाना इस तरह के हादसे में रेल ट्रैवल इंश्योरेंस का लाभ मिलता है।
लेकिन अगर यात्री सफर के दौरान आत्महत्या या किसी दूसरे हादसे का शिकार हो जाता है तब भारतीय रेलवे इंश्योरेंस नहीं देता है।
रेलवे इंश्योरेंस का लाभ सभी श्रेणी के यात्रियों को मिलता है। लेकिन अगर यात्री ने काउंटर से टिकट खरीदा है तो उसे इंश्योरेंस का लाभ नहीं मिलेगा। इसका मतलब है कि ऑनलाइन टिकट बुकिंग पर ही इंश्योरेंस मिलता है। इसके अलावा बच्चों के हाफ टिकट पर भी इंश्योरेंस नहीं मिलता है।
ट्रैवल इंश्योरेंस का लाभ केवल कंफर्म टिकट वाले यात्रियों को ही मिलता है। इसका मतलब कि वेटिंग टिकट वालों को इस इंश्योरेंस का लाभ नहीं मिलता।
रेलवे ट्रैवल इंश्योरेंस क्लेम करने का प्रोसेस क्या है?
ट्रेन दुर्घटना के 4 महीने के भीतर इंश्योरेंस के लिए क्लेम किया जा सकता है। घायल हुआ व्यक्ति, नॉमिनी या उसका उत्तराधिकारी इंश्योरेंस क्लेम कर सकता है। इंश्योरेंस क्लेम के लिए इंश्योरेंस कंपनी को आवेदन देना होता है और संबंधित डॉक्युमेंट जमा करने होते हैं।
अगर रेल एक्सीडेंट में किसी यात्री की मृत्यु या फिर वह पूरी तरह से दिव्यांग हो जाता है तो उसे 10 लाख रुपये तक का क्लेम मिलता है। वहीं, स्थायी रूप से दिव्यांग यात्री को 7.5 लाख रुपये और घायल यात्री को इलाज के लिए 2 लाख रुपये का क्लेम मिलता है।
क्लेम के लिए जरूरी हैं ये डॉक्युमेंट्स
- रेल अथॉरिटी की तरफ से जारी एक्सीडेंट की पुष्टि रिपोर्ट होनी चाहिए।
- एक्सीडेंट क्लेम फॉर्म पर नॉमिनी और कानूनी वारिस के साइन होने चाहिए।
- दिव्यांग यात्री को हादसे से पहले और बाद की फोटो देनी होती है।
- यात्री को अस्पताल में भर्ती होने से जुड़े डॉक्युमेंट्स जमा करने होते हैं।
- डॉक्टर की फाइनल रिपोर्ट अटैच करनी होती है।
- सभी बिल पर नंबर, साइन और स्टाम्प होना जरूरी है।
- रेलवे एक्सीडेंट में मृत यात्री की डिटेल्स वाली ऑफिशियल रिपोर्ट को भी अटैच करना होता है।
- NEFT डिटेल और कैंसिल चेक भी जमा करना होता है।
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