२ जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी तीन देशों इण्डोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर की पांच दिवसीय यात्रा पर भारत की एक्ट ईस्ट नीति को धार देने सफलता के पायदान को आगे बढ़ाने हो रही है। भारत की १२५ करोड़ जनता उनकी इस यात्रा की सफलता की कामना करती है।
भारत की आंतरिक राजनीतिक दृष्टि से नरेन्द्र मोदी की सरकार लुक ईस्ट नीति को सफल बना चुकी है। इसी के आधार पर भारत के नार्थ-ईस्ट प्रांत के ९० प्रतिशत से अधिक इसाई बाहुल्य प्रांतो में भाजपा का शासन स्थापित कर यह दिखा दिया है कि भाजपा और मोदी सरकार १२५ करोड़ भारतीयों की सोचती है। सबका साथ सबका विकास तुष्टिकरण किसी का नहीं की नीति पर चलती है।
मोदी जी की यात्रा का प्रथम चरण इण्डोनेशिया होगा। इण्डोनेशिया विश्व मेें सर्वाधिक मुस्लिम आबादी वाला होते हुये भी भारत जैसे धर्म निरपेक्ष नीति पर चल रहा है। भारत भी इण्डोनेशिया के बाद सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश है।
इण्डोनेशिया की यात्रा से चीन तनाव में है। वर्तमान में इंडोनेशिया ने भारत को सामरिक लिहाज़ से अहम अपने सबांग द्वीप तक आर्थिक और सैन्य पहुंच दी है.
ये द्वीप सुमात्रा के उत्तरी छोर पर है और मलक्का स्ट्रैट के भी कऱीब है. इंडोनेशिया के मंत्री लुहुत पंडजैतान ने बताया था, भारत सबांग के पोर्ट और इकोनॉमिक ज़ोन में निवेश करेगा और एक अस्पताल भी बनाएगा.
ये ख़बर आने के कुछ दिन बाद सोमवार को भारत के प्रधानमंत्री ने बताया कि वो 29 मई से 2 जून के बीच इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर के दौरे पर जा रहे हैं.
मलेशिया में मोदी प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद से मुलाक़ात करेंगे जबकि सिंगापुर में छात्रों और सीईओ से भेंट के अलावा क्लिफर्ड़ पियर जाएंगे जहां महात्मा गांधी की अस्थियां विसर्जित की गई थी
लेकिन इन तीनों देशों में सबसे ज़्यादा निगाह इंडोनेशिया में रहेगी. और इसकी सबसे बड़ी वजह हाल में दोनों देशों के बीच सबांग पर बनी सहमति है
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक भारत और इंडोनेशिया ने सबांग में सहयोग के प्रस्ताव पर 2014-15 में सोचना शुरू किया था. हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती पैठ ने भारत और इंडोनेशिया की चिंता बढ़ा दी थी और इसी वजह से सबांग को लेकर सहमति बनी है.
पंडजैतान ने चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को लेकर फि़क्र जताई थी. उन्होंने कहा था, ‘Óहम नहीं चाहते कि बीआरआई हमें कंट्रोल करे.ÓÓ
राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ वुहान में अनौपचारिक वार्ता कर पीएम नरेंद्र मोदी ने यह साबित किया है चीन के साथ रिश्तों को भारत नए परिप्रेक्ष्य में देख रहा है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भारत चीन को लेकर संशकित उसके पड़ोसी देशों के साथ अपने रिश्तों को मजबूत नहीं करेगा। पीएम मोदी यही बात अपनी इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर की यात्रा से साबित कर रहे हैं। मोदी मंगलवार को इन देशों की पांच दिवसीय यात्रा पर रवाना हो चुके हैं। माना जा रहा है कि भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीतिÓ के तहत पीएम मोदी की यह यात्रा बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी।
मोदी सरकार की एक्ट ईस्ट नीति भारत के हित में इसलिए भी है कि दक्षिण पूर्वी एशिया में चीन अपना प्रभाव तेजी से बढ़ा रहा है। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दूरंदेशी से काम ले रहे हैं। उन्होंने क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे बल देने के साथ सामरिक सांझेदारी और समुद्री सहयोग पर भी फोकस किया है।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा एक्ट ईस्ट नीति के तहत चीन को जैसे को तैसा वाला जवाब भी माना जा रहा है। दरअसल पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, मालदीव और म्यांमार में दखल बढ़ा रहा है। ऐसे में भारत उन देशों से अपने संबंधों को बढ़ा रहा है जो चीन की विस्तारवादी नीतियों से परेशान हैं।
गौरतलब है कि जापान, फिलीपीन्स, ताईवान, ब्रूनेई, मलेशिया, इंडोनेशिया और वियतनाम के साथ दक्षिणी चीन सागर को लेकर चीन का विवाद चल रहा है। अंतरराष्ट्रीय न्यायाल में चीन के विरुद्ध फैसला आने के बाद भी वह नहीं मान रहा है और अपना दखल बढ़ाता जा रहा है। ऐसे में भारत की यह नीति सही है कि इन आसियान देशों से सहयोग बढ़ाकर चीन के विरुद्ध एक मत तैयार करे।
इसी क्रम में भारत म्यांमार की सेना को रक्षा सहयोग और प्रशिक्षण भी दे रहा है। भारत और थाइलैंड के बीच 8 अरब डॉलर का व्यापार होता है। भारत, म्यांमार और थाइलैंड को जोडऩे वाले त्रिपक्षीय राजमार्ग पर काम जारी है जो 2019 के अन्त तक शुरू हो जाएगा। बहरहाल परिणाम चाहे जो भी हो, परन्तु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिप्लोमेसी का अन्दाज अलग ही रहा है।
पीएम मोदी की एक्ट ईस्ट पॉलिसी
प्रधानमंत्री मोदी ने यूपीए सरकार की ‘लुक अप ईस्टÓ की पॉलिसी को ही बदल डाला। एक नई ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसीÓ लायी, जिसमें इन राज्यों को पूर्वी और दक्षिणी पूर्वी एशिया के देशों- मयांमार, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लावोस, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम से व्यापार करने के लिए फ्रंटलाइन राज्य माना गया।
इसी पॉलिसी के तहत बांग्लादेश के साथ संबंध सुधारने को प्रधानमंत्री मोदी ने प्राथमिकता दी, और बांग्लादेश से कई समझौते करके सबंधों को एक ठोस मजबूती दी।
अभी हाल ही में बंग्लादेश की प्रधानमंत्री शांति निकेतन में प्रधानमंत्री मोदी और प.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी के साथ बंग्लादेश भवन का उद्घाटन करने के लिये सम्मिलित हुई।
आज इन देशों से संबंध एक नई ऊंचाई पर पहुंच चुके हैं। देश में पहली बार ऐसा हुआ, जब 2018 के गणतंत्र दिवस समारोह में ्रस्श्व्रहृ देशों के सभी दस राष्ट्रों के शासनाध्यक्ष अतिथि के तौर पर हिस्सा लिया।
जापान की भागीदारी – भारत में पूर्वोत्तर के राज्यों के विकास में ्रस्श्व्रहृ देशों के साथ-साथ जापान की एक बड़ी भूमिका है।
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