मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, बस्तर में सबकुछ अच्छा होेेने के बावजूद यहां कुछ कमियां हैं। इनमें कुपोषण, एनीमिया और मलेरिया प्रमुख रूप से हैं। उन्होंने कहा कि मलेरिया के कारण ही एनीमिया और कुपोषण की समस्याएं सामने आ रही हैं। मुख्यमंत्री बघेल दंतेवाड़ा में शनिवार से शुरू हुए ‘मलेरिया मुक्त बस्तर’ अभियान में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने अपना ब्लड टेस्ट भी कराया। खास बात यह है कि इस अभियान के दौरान बीजापुर में स्कूल प्रशासन की लापरवाही के चलते मलेरिया से एक छात्र की मौत हो गई।
मलेिरया से निपटने के लिए जून से चल रहा है मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान
- कारली की पुलिस लाइन में हो रहे कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि कुपोषण को दूर करने के लिए जून 2019 से हम मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान चला रहे हैं। अब मलेरिया से निपटने के लिए 15 जनवरी से अभियान शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि मलेरिया के सर्वाधिक मामले बस्तर संभाग में मिले हैं, इसलिए यह अभियान यहां से शुरू किया गया है। आजकल मलेरिया होने के बावजूद भी इसके लक्षण दिखाई नहीं देते, ऐसे में सभी को बुखार हो या ना हो मलेरिया की जांच अवश्य करानी चाहिए।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद हर गांव और घर तक पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोशिश की जानी चाहिए कि मलेरिया को होने ही नहीं दिया जाए। इसके लिए घर के आसपास सफाई और मच्छर के लार्वा को नष्ट करें। इसके साथ ही सभी लोग मच्छरदानी लगाकर सोने की आदत डालें। मुख्यमंत्री बघेल ने इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों को मलेरिया मुक्त बस्तर बनाने की शपथ दिलाई। उन्होंने शिविर में अपना मलेरिया टेस्ट भी कराया।
- बीजापुर में आदिवासी छात्र की मौत, परिजन बोले- अधीक्षक ने घर भेजावहीं बीजापुर में मलेरिया से पीड़ित एक आदिवासी छात्र प्रमोद कुड़ियाम की मौत हो गई है। पापनपाल निवासी प्रमोद 6वीं कक्षा का छात्र था और पोटाकेबिन स्कूल में रहकर पढ़ाई कर रहा था। प्रमोद बीते कई दिनों से बीमार था। 19 जनवरी को पोटाकेबिन के अधीक्षक की ओर से उसके खून की जांच कराई गई, जिसमें मलेरिया की पुष्टि हो गई। परिजनों का आरोप है कि अधीक्षक ने प्रमोद को बजाय अस्पताल में भर्ती कराने की जगह 23 जनवरी को घर भेज दिया। उसे हम जिला अस्पताल लेकर जाते, लेकिन इससे पहले ही उसने दम तोड़ दिया।
- प्रदेश में मलेरिया के 72 फीसदी मामले बस्तर सेस्वास्थ्य विभाग की सचिव निहारिका बारिक सिंह ने बताया कि बस्तर में परजीवी सूचकांक सबसे ज्यादा है। प्रदेश में मलेरिया के मामलों में से 72 फीसदी बस्तर से आते हैं। उन्होंने कहा कि मलेरिया की जांच और उपचार के लिए पूरे संभाग में 1720 मलेरिया दलों का गठन किया गया है। अब तक पांच लाख से अधिक लोगों की जांच की जा चुकी है, जिसमें से 22777 व्यक्ति मलेरिया से पीड़ित पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि जनवरी, जुलाई और नवंबर में मलेरिया ज्यादा होता है। अभियान का यह पहला चरण है। जुलाई और नवंबर में दूसरा और तीसरा चरण प्रारंभ किया जाएगा।
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