देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को इसके समर्थन में सोशल मीडिया कैम्पेन लॉन्च किया। सोमवार को प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर इस कानून के बारे में जानकारी दी। मोदी ने कहा- यह शरणार्थियों को नागरिकता देने का कानून है और इससे किसी की नागरिकता नहीं छीनी जाएगी। उन्होंने सीएए पर जग्गी वासुदेव का 22 मिनट का एक वीडियो भी शेयर किया।
जग्गी वासुदेव का वीडियो पोस्ट किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जग्गी वासुदेव के भाषण का वीडियो पोस्ट करके, नागरिकता कानून को विस्तार से बताने की कोशिश की। मोदी ने यह भी लिखा कि जग्गी वासुदेव के वीडियो में सीएए के ऐतिहासिक संदर्भ को भी समझा जा सकता है।
नागरिकता कानून के जुड़े 4 मिथक और उन पर सरकार का तर्क
मिथ | सरकार का तर्क |
सीएए घुसपैठियों को बढ़ावा देने के मकसद से लाया गया है। | पिछले 70 साल से जिन्हें बुनियादी अधिकार नहीं मिल पाए, उन्हें नागरिकता देने की यह महज संवैधानिक प्रक्रिया है। घुसपैठिए नहीं, बल्कि वास्तविक शरणार्थी इसके दायरे में रहेंगे। |
सीएए से बांग्लादेश से हिंदू प्रवासियों के भारत आने का सिलसिला बढ़ेगा। | हाल के वर्षों में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों से प्रताड़ना के मामले तेजी से घटे हैं। इसलिए वहां से पलायन की संभावना बेहद कम है। सीएए वैसे भी 31 दिसंबर 2014 की कट-ऑफ डेट के बाद भारत आए अल्पसंख्यकों के लिए नहीं है। |
सीएए से बंगाली भाषी लोगों का दबदबा बढ़ेगा। | असम की बराक वैली में ज्यादातर हिंदू बंगाली आबादी रहती है। यहां बंगाली पहले से दूसरी राजकीय भाषा है। वहीं, ब्रह्मपुत्र वैली में अलग-अलग इलाकों में हिंदू बंगाली रहते हैं। उन्होंने असमी भाषा को अपना लिया है। |
सीएए पूर्वोत्तर के आदिवासी क्षेत्रों में भी लागू होगा। |
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