पर प्रकाश डाला गया
- 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में फाँसी की सजा दी गई।
- ‘इंकलाब जिंदाबाद’ उनकी सबसे प्रसिद्ध नारियों में से एक है।
- युवाओं को अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया।
डिजिटल डेस्क, रेस्तरां। शहीद भगत सिंह के अनमोल विचार हिंदी में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह की 28 सितंबर को 116वीं जयंती है। उनका जन्म बंगा, पंजाब (पाकिस्तानअब) में 28 सितंबर 1907 को हुआ था। वह अंग्रेज़ों की गुलामी से भारत को आज़ाद करना चाहते थे। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। कम उम्र में ही 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में फाँसी की सज़ा दी गई। वह बहुत कम उम्र में देश के लिए मौत दे दी गई। भगत सिंह के प्रेरक नारे जैसे ‘इंकलाब जिंदाबाद’ से देशभक्ति की भावना जागती है। आज हम आपको यह लेख भगत सिंह के 10 अनमोल विचार बताएंगे।
भगत सिंह के 10 अनमोल विचार
- प्रेमी, पागल और कवि एक ही चीज़ से बने होते हैं। -भगत सिंह
- आलोचना और स्वतंत्र सोच एक क्रांतिकारी के दो अनिवार्य गुण हैं। -भगत सिंह
- मैं एक इंसान हूं और जो कुछ भी इंसान है उसे प्रभावित करता है मेरा मतलब है। -भगत सिंह
- सरफ़रोशी की रौनक अब हमारे दिल में है, देखिये कितना ज़ोर बाज़ू-ए-कातिल में है। -भगत सिंह
- ये क़रार है मेरे कलम मेरे जज़्बातों से, अगर मैं इश्क़ लिखना भी चाहूँ तो इंकलाब लिखा जाता है। -भगत सिंह
- जिंदगी तो अपने दम पर ही जी जाती है, दुसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठते हैं। -भगत सिंह
- मेरे जीवन का एक ही लक्ष्य है और वो है देश का। इसके अलावा कोई और लक्ष्य मुझे नहीं मिल सकता – भगत सिंह
- जिन्दा रहने की हसरत मेरी भी है, पर मैं कैद होकर अपना जीवन नहीं चाहता। -भगत सिंह
- मरकर भी मेरे दिल से वतन की उल्फत नहीं निकलेगी, मेरी मिट्टी से भी वतन की ही उल्फत निकलेगी। -भगत सिंह
- राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है। -भगत सिंह
11. वे मुझ पर प्रभाव डाल सकते हैं, परन्तु उनके विचार पर कोई प्रभाव नहीं डाल सकता। वे मेरे शरीर को कुचलने में सक्षम नहीं हैं, लेकिन मेरी आत्मा को कुचलने में सक्षम नहीं हैं। -भगत सिंह