गुवाहाटी:
त्रिपुरा में दो उग्रवादी समूह केंद्र और राज्य सरकार के साथ हुए ऐतिहासिक शांति समझौते के तहत हथियार छोड़ने और मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमत हो गए हैं। इस समझौते पर हस्ताक्षर होने के साथ ही कई दशकों के बाद त्रिपुरा में कोई उग्रवादी समूह नहीं बचा है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “आज हमारे लिए ऐतिहासिक दिन है। पिछले 35 वर्षों से हमने जो संघर्ष देखा, आज मुझे खुशी है कि इन समूहों ने हथियार डाल दिए हैं और शांति के मार्ग पर चल रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उग्रवाद, हिंसा और संघर्ष से मुक्त विकसित पूर्वोत्तर के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है।
ये दो समूह हैं नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स।
श्री शाह ने कहा कि हथियार डालने वाले समूहों के 328 सदस्यों को समाज में शामिल किया जाएगा।
गृह मंत्री ने कहा, “हमने इस क्षेत्र के विकास के लिए 2,500 करोड़ रुपये का निवेश किया है। हम न केवल शांति समझौतों पर हस्ताक्षर कर रहे हैं, बल्कि उन्हें जमीनी स्तर पर लागू भी कर रहे हैं।”
भारत सरकार, त्रिपुरा सरकार, नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स के बीच समझौते पर हस्ताक्षर के साथ त्रिपुरा शांति और समृद्धि की ओर एक और कदम बढ़ा रहा है।
https://t.co/EZKhVM1vy1— अमित शाह (@AmitShah) 4 सितंबर, 2024
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति और समृद्धि लाने के लिए 12 महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से तीन त्रिपुरा से संबंधित हैं।’’ उन्होंने कहा कि इन समझौतों के कारण 10,000 लोग हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हुए हैं।
टिपरा मोथा पार्टी के संस्थापक प्रद्योत माणिक्य देबबर्मन, जो अब राज्य में भाजपा सरकार की गठबंधन सहयोगी है, ने भी त्रिपुरा में शांति स्थापना प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
शांति समझौते पर हस्ताक्षर के अवसर पर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा तथा गृह मंत्रालय और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।