बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी अक्षय शिंदे के एनकाउंटर के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक घमासान जारी है। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला शिवसेना गुट इसे न्याय का एक रूप बता रहा है, जबकि विपक्षी नेताओं का तर्क है कि किसी को मौके पर ही गोली मार देना न्याय नहीं माना जा सकता। इस घटना ने राज्य में कानून प्रवर्तन और न्यायिक प्रक्रियाओं के बीच संतुलन को लेकर एक बड़ी बहस छेड़ दी है।
आरोपी अक्षय शिंदे को गोली मारने वाले पुलिस इंस्पेक्टर संजय शिंदे को मुंबई पुलिस में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर जाना जाता है। वह पहले प्रदीप शर्मा के साथ एंटी एक्सटॉर्शन सेल में काम कर चुके हैं, जिन्हें भी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर जाना जाता है।
आज के डीएनए में ज़ी न्यूज़ के एंकर ने मुठभेड़ों के इस मौसम का विश्लेषण किया।
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— ज़ी न्यूज़ (@ZeeNews) 24 सितंबर, 2024
अन्य राज्यों में भी मुठभेड़ की घटनाएं बढ़ गई हैं। उत्तर प्रदेश में व्हीलचेयर पुलिस कार्रवाई का पर्याय बन गई है, जबकि मध्य प्रदेश में पुलिस मुठभेड़ों के संदर्भ में स्ट्रेचर ने भी ऐसा ही महत्व हासिल कर लिया है।
हाल ही में, अरुण चौहान नामक एक व्यक्ति, जिस पर एक जौहरी को लूटने का आरोप है, स्ट्रेचर पर लेटा हुआ पाया गया। यहाँ की पुलिस भी दावा करती है कि उनकी कार्रवाई उचित है, जो उत्तर प्रदेश में देखी गई कहानी को दोहराती है।