इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद-कृष्ण जन्मभूमि विवाद के संबंध में हिंदुओं द्वारा दायर मुकदमों की स्थिरता को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने यह फैसला सुनाया, जिसका फैसला 6 जून 2024 को सुरक्षित रखा गया।
मुकदमों का एकीकरण
जस्टिस जैन की पीठ इस विवाद से जुड़े 18 मुकदमों की सुनवाई कर रही है, जिनमें से 15 को संयुक्त सुनवाई के लिए एक साथ रखा गया है। मुस्लिम पक्ष ने सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 के तहत मुकदमों की स्थिरता को चुनौती देने के लिए एक आवेदन दायर किया था, जिसमें दावा किया गया है कि शाही ईदगाह मस्जिद क्षेत्र सहित मथुरा में 13.37 एकड़ भूमि कृष्ण जन्मभूमि की है।
विवाद की पृष्ठभूमि
ये मुकदमे कटरा, केशव देव में 13.37 एकड़ भूमि से संबंधित हैं, जिसमें मुख्य राहत शाही ईदगाह मस्जिद को भूमि से हटाने की मांग की गई है। भगवान कृष्ण के भक्तों का दावा है कि मस्जिद भगवान की भूमि पर बनाई गई थी और भगवान कृष्ण का वास्तविक जन्मस्थान उसी के नीचे है। उनका आरोप है कि कृष्ण जन्मभूमि भूमि पर मुसलमानों द्वारा एक अवैध संरचना खड़ी की गई थी।
न्यायालय का फैसला
उच्च न्यायालय ने कई सुनवाईयों में दोनों पक्षों की दलीलें विस्तार से सुनीं। 31 मई को शुरू में सुरक्षित रखा गया फैसला, जून में फिर से सुरक्षित रखने से पहले एडवोकेट प्राचा को अदालत को संबोधित करने का एक और अवसर देने के लिए फिर से खोला गया था। अंततः, उच्च न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया, हिंदू मुकदमों की स्वीकार्यता की पुष्टि की, इस प्रकार मामले के मूल मुद्दों पर आगे की कानूनी कार्यवाही का मार्ग प्रशस्त किया।