पर प्रकाश डाला गया
- नाम ईश्वर चन्द्र बंदोपाध्याय था, विद्वत्ता के कारण विद्यासागर कहे गये
- ईश्वर चंद विद्यासागर ने बहुविवाह, बाल विवाह का कड़ा विरोध किया
- साथ ही विधवा विवाह और महिलाओं की शिक्षा के समर्थक थे
विश्विद्यालय, इंदौर (ईश्वर चंद्र विद्यासागर का किस्सा)। 26 सितम्बर 1820 को ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का जन्म हुआ। यह देश पूरा देश इस प्रकांड विद्वान और समाज सुधारक को याद करता है।
स्कूलों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। भाषण प्रतियोगिता विद्या है, इसलिए बाल ईश्वर चंद्रसागर और उनके द्वारा संचालित कार्यों के बारे में जान मित्र। ईश्वर चंद्र विद्यासागर के कई किस्से भी उदाहरण हैं।
अयोध्या के पैसो का जूता नीलाम कर दिए गए
- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर एक बार कोलकाता में विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए चंदा एकत्रित हो रहे थे। इसके लिए उन्होंने यूनिवर्सिटल का भ्रमण किया और राजा महाराजाओं से मिले, ताकि चंदाकलाया जा सके।
- इसी क्रम में ईश्वर चंद्र विद्यासागर अयोध्या क्षेत्र और वहां के नवाब से आर्थिक मदद की छूट। नावल में मदद करने के लिए मजाक मजाक उड़ाया और विद्या सागर जी के झोले में अपना जूता डाल दिया।
- विद्यासागर कुछ नहीं बोले और जूते लेकर बाहर आये। अगले दिन उन्होंने नवाब के निवास के बाहर भीड़ इकट्ठी की और कहा कि यह नवाब का जूता है, जो सबसे बड़ी बोलीगा, अन्यथा मिलेगा।
- नवाब का जूता पाने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। लोग एक से बढ़कर एक बोली लगाने लगे। इससे विद्यासागर को अच्छी विशिष्टता प्राप्त हुई। जब नवाब ने इसके बारे में सुना तो वो भी खुश हो गए और उन्होंने भी दान दे दिया।
यूके यूनिट के साथ ‘जैसे के साथ तैसा’ वाला सलूक
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी जब एक युनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे, तब एक अंग्रेज़ कॉन्स्टिट्यूशन वहाँ किसी काम से आया था। ब्रिटेन में देखें विद्यासागर अपनी कुर्सी पर बैठे और दोनों पैर सामने टेबल पर रखें।
यह देखने के बाद इंटरनेट से जुड़ गया। उन्होंने विद्यासागर की याचिका विश्वविद्यालय के अधिग्रहण से कर दी। जब विद्यासागर को बुलाया तो उन्होंने बताया कि एक दिन जब वे उस दोस्त से मिले थे, तब वो भी इसी तरह टेबल पर पैर रखकर बैठे थे और ऐसी ही बात की थी।
ब्रिटिश यूनिट को स्वचालित रूप से अपनी योग्यता का पता लगाया गया। इसी तरह विद्यासागर के कई किस्से हैं, जिसमें उन्होंने अपनी सादगीपूर्ण जीवन शैली के साथ ही विद्या का परिचय दिया।