आधार कार्ड आयु प्रमाण: किसी की आयु निर्धारित करने के लिए आधार कार्ड वैध दस्तावेज नहीं… सर्वोच्च न्यायालय का आदेश

आधार कार्ड आयु प्रमाण: किसी की आयु निर्धारित करने के लिए आधार कार्ड वैध दस्तावेज नहीं… सर्वोच्च न्यायालय का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का फैसला पलटा।

पर प्रकाश डाला गया

  1. सड़क दुर्घटना में मारे गए राष्ट्रपति के राष्ट्रपति का मामला
  2. हत्यारोपी अदालत ने एसएलसी के आधार पर तय की थी उम्र
  3. पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने बदला फैसला

एजेंसी, नई दिल्ली (आधार कार्ड नवीनतम अपडेट)। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी भी व्यक्ति की आयु का आधार कार्ड पर पंजीकृत जन्मतिथि दर्ज नहीं की जा सकती है। दूसरे शब्दों में कहा गया है कि देश के सर्वोच्च न्यायालय की नजर में किसी की उम्र निर्धारित करने के लिए आधार कार्ड वैध दस्तावेज नहीं है।

जस्टिस संजय करोल और जस्टिस जया बीएच पत्रिका की पृष्टि ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की उम्र स्कूल लीविंग सैलून (एसएलसी) में पूर्ण जन्म तिथि से निर्धारित होनी चाहिए। एक मृत व्यक्ति के परिवार से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आया है।

naidunia_image

सड़क दुर्घटना में विस्फोट का मामला सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लाया गया था

  • यह मामला पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में सर्वोच्च न्यायालय में था। उच्च न्यायालय में सड़क दुर्घटना का एक मामला आधार कार्ड पर लिखी गई जन्म तिथि को सही दर्शाए गए स्लैब का आदेश दिया गया था।
  • उच्च न्यायालय के इसी फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के फैसले को पलट दिया और कहा कि जन्मतिथि का समापन स्कूल लेविंग सोमाली (एसएलसी) से किया जाना चाहिए।
  • जस्टिस संजय करोल और जस्टिस जया किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 94 के तहत स्कूल मुक्ति के प्रमाण पत्र में मृतक की आयु किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के अनुसार निर्धारित की जानी चाहिए। .

naidunia_image

19.35 मिलियन मिलियन से अधिक की लागत से 9.22 मिलियन मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ

दुर्घटना 2015 में हुई थी, जिसके लिए परिवार ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायधिकरण (एमएसआईटी) में आवेदन किया था। एमएससीटी ने स्कूल लीविंग सोसायटी (एसएलसी) को आधार बनाकर 19.35 लाख रुपये के बिजनेस का ऑर्डर दिया था।

देहरादून स्थित मोटर दुर्घटना दावे को न्यायधिकरण के फैसले को बीमा कंपनी की ओर से उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। हाई कोर्ट ने स्कूल लीविंग सोसायटी (एसएलसी) के आधार पर उम्र की गणना को खारिज कर दिया और आधार पर लिखी उम्र के हिसाब से गणना करते हुए ईसा मसीह की राशि 19.35 लाख से 9.22 लाख रुपये कर दी थी।

हाई कोर्ट के जजमेंट को यूनिटी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायधिकरण के फैसले के अनुसार 19.35 लाख मोर्टार का आदेश दिया है। आधार कार्ड खाते से मृतक की आयु 47 वर्ष आ रही थी, जबकि स्कूल लीविंग सोसायटी (एसएलसी) के अनुसार उनकी आयु 45 वर्ष थी।

Keep Up to Date with the Most Important News

By pressing the Subscribe button, you confirm that you have read and are agreeing to our Privacy Policy and Terms of Use