प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग हमारे देश में पहले से होती रही है। उन्होंने यह भी कहा कि एग्रीकल्चर सेक्टर में रिसर्च एंड डेवलपमेंट को लेकर ज्यादातर योगदान पब्लिक सेक्टर का है। अब समय आ गया है कि इसमें प्राइवेट सेक्टर का योगदान भी बढ़े। होलिस्टिक अप्रोच चाहिए, पूरा साइकल होना चाहिए। हमें किसानों को ऐसा विकल्प देना चाहिए कि वे गेहूं-चावल उगाने तक ही सीमित न रहें। प्रधानमंत्री कृषि क्षेत्र में बजट लागू करने को लेकर हुए वेबिनार को संबोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘हमें किसानों को ऐसी टेक्नोलॉजी, ऐसे बीज उपलब्ध करवाने हैं जो जमीन के लिए उपयोगी हों और जिनमें न्यूट्रिशन की मात्रा भी हो। हमें एग्रीकल्चर सेक्टर से जुड़े स्टार्टअप को बढ़ावा देना होगा, युवाओं को जोड़ना होगा। कोरोना के समय हमने देखा है कि कैसे स्टार्टअप्स ने फलों और सब्जियों को लोगों के घरों तक पहुंचाया। देखा गया है कि ज्यादातर स्टार्टअप युवाओं ने ही
सरकार का विजन स्पष्ट
माइक्रो इरिगेशन फंड की राशि बढ़ाकर दोगुनी कर दी गई है। देश की 1000 और मंडियों को ई-नाम से जोड़ने का फैसला लिया गया है। इन सारे फैसलों में सरकार की सोच झलकती है, इरादा महसूस होता है और सरकार के विजन का पता चलता है।
भारत को फूड प्रोसेसिंग क्रांति की जरूरत
लगातार बढ़ते हुए कृषि उत्पादन के बीच 21वीं सदी में भारत को फूड प्रोसेसिंग क्रांति और वैल्यू एडिशन की आवश्यकता है। देश के लिए बहुत अच्छा होता, अगर ये काम 2-3 दशक पहले ही कर लिया गया होता। अब जो समय बीत गया है, उसकी भरपाई तो करनी ही है। आने वाले दिनों के लिए अपनी तैयारी और तेजी को भी बढ़ाना है।
प्राइवेट और को-ऑपरेटिव सेक्टर को आगे आना होगा
हमें एग्रीकल्चर के हर क्षेत्र में प्रोसेसिंग पर सबसे ज्यादा फोकस करना है। इसके लिए जरूरी है कि किसानों को अपने गांव के पास ही स्टोरेज की सुविधा मिले। खेत से प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुंचाने की व्यवस्था सुधारनी ही होगी। हम सब जानते हैं कि फूड प्रोसेसिंग क्रांति के लिए किसानों के साथ ही पब्लिक, प्राइवेट और को-ऑपरेटिव सेक्टर को पूरी ताकत से आगे आना होगा। हमें देश के एग्रीकल्चर सेक्टर का प्रोसेस फूड के वैश्विक मार्केट में विस्तार करना ही होगा।
फिशरीज सेक्टर में प्रोसेसिंग का स्कोप
सिर्फ खेती ही नहीं, फिशरीज सेक्टर में भी प्रोसेसिंग का बहुत बड़ा स्कोप हमारे यहा हैं। भले ही हम दुनिया के बड़े फिश एक्सपोर्टर में से हैं, लेकिन वैश्विक मार्केट में हमारी उपस्थिति बहुत सीमित है। ये स्थिति बदलनी होगी। इसके लिए जरूरी रिफॉर्म्स के अलावा करीब 11000 करोड़ रुपए की प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम सरकार ने बनाई है।
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