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मां ने कहा- मेरा बच्चा ऑनलाइन गेम का आदी, मोदी ने पूछा- वो पबजी वाला है क्या?

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा से पहले छात्रों को तनाव मुक्त करने के लिए संवाद किया। तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम में उन्होंने छात्रों से कहा कि वे यहां कुछ पल बच्चों की तरह जीना चाहते हैं। इस कार्यक्रम में छात्रों के अलावा कुछ अभिभावक और शिक्षक भी शामिल हुए।

चर्चा के दौरान छात्रों और अभिभावकों ने मोदी से सवाल भी पूछे। एक मां ने मोदी से अपने बच्चे की शिकायत की कि उनका बच्चा पढ़ाई न करके ऑनलाइन गेम का आदी है। इस पर मोदी ने पूछा- पबजी वाला है क्या? इस पर कार्यक्रम में मौजूद सभी लोग हंसने लगे। मोदी ने कहा, ”हम ये चाहें कि हमारे बच्चे तकनीक से दूर चले जाएं, फिर तो वे एक प्रकार से पीछे की तरफ जाना शुरू हो जाएंगे। इसलिए हमें बच्चों को तकनीक की तरफ जाने के लिए बढ़ावा देना चाहिए। लेकिन यह तकनीक उसे रोबोट बना रही है या इंसान बना रही है, यह देखना जरूरी है।”

परीक्षा के महत्व से इंकार नहीं कर सकते- मोदी

एक छात्र के सवाल पर उन्होंने कहा, ”परीक्षा का महत्व तो है, इससे इनकार नहीं कर सकते। न ही यह कह सकते हैं कि अरे मत पढ़ो यार, जो होगा देखा जाएगा। लेकिन यह देखना होगा कि यह परीक्षा जिंदगी की परीक्षा है या क्लास की। अगर हम यह देख लेंगे तो हमारा फोकस बढ़ जाएगा। ऐसा कुछ नहीं है कि 10वीं में गया तो कुछ नहीं होगा। परीक्षा के गलियारे तक ही जिंदगी नहीं होती। उसके आगे भी जिंदगी होती है।” मोदी ने कहा, ”मैं मां-बाप से कहना चाहता हूं। वे मां-बाप विफल हैं जो अपने सपनों को बच्चों पर थोपकर पूरा करवाना चाहते हैं। ऐसा नहीं है कि मां बाप को इसके लिए ट्रेनिंग की जरूरत हो।”

प्रधानमंत्री ने कहा, ”बहुत पहले मैंने कविता पढ़ी थी। उसमें एक बात थी। कुछ खिलौनों के टूटने से बचपन नहीं मरा करता। यानी कुछ एग्जाम में दिक्कत हो जाए तो सब खराब नहीं होता। लेकिन जीवन में कुछ कसौटी होती हैं। यह हमें ऊर्जा से भरती हैं। अगर हम अपने आप को कसौटी के तराजू पर झोकेंगे नहीं, तो जिंदगी ठहर जाएगी। जबकि जिंदगी का मतलब होता है तेजी, गति बिना उस जिंदगी का क्या मतलब?”

‘अपेक्षाओं से ज्यादा करने की इच्छा जगती है’

  • मोदी ने कहा, ”मां बाप को बच्चों को हमेशा उसी रूप में देखना चाहिए जैसा बचपन में देखते हैं। उसको नीचे गिरता देख, उसे डांटने से कोई परिवर्तन नहीं आएगा। जहां तक अपेक्षाओं का सवाल है तो वो जरूरी हैं। अपेक्षाओं से हमें भी कुछ ज्यादा करने की इच्छा जगती है।”
  • ”अभिभावकों के लिए मेरा यही आग्रह होगा कि आपके सपने भी होने चाहिए अपेक्षाएं भी होनी चाहिए। लेकिन प्रेशर से स्थिति बिगड़ जाती है। प्रेशर से रिएक्शन आता है। ऐसा न हो इसका ध्यान रखना चाहिए।”
  • ”मां बाप ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वे कभी-कभी अपने यार-दोस्तों या फैमिली फंक्शन में जाते हैं तो अपने बच्चों का रिपोर्ट कार्ड अपना विजिटिंग कार्ड बनाकर ले जाते हैं। यह समस्या की सबसे बड़ी जड़ है। इसकी वजह से आपकी सफलता या विफलता उनकी सोशल लाइफ पर असर डालती है।”
  • ”जब छोटा बच्चा होता है, तो मां बाप उसकी गलतियों का जिक्र मेहमानों से काफी अच्छे से करते हैं। क्योंकि उसकी एक्टिविटी वो नोट करते हैं। लेकिन 7-8 साल की उम्र के बाद हम उसकी एक्टिविटी पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। वो 3-6 महीने का जब था तब से लेकर जब तक वह वयस्क नहीं हो जाता तब तक माता-पिता को उसको देखना चाहिए।”
  • ‘मां कभी नहीं थकती’

मोदी ने कहा, ”आप कभी सोचते हैं कि मां भी कभी थकती होगी। उसका भी मन करता है कि चलो आज सो जाएं। लेकिन जैसे ही बच्चे का स्कूल से घर आने का समय होता है तो वह दरवाजे पर मुस्कुराते हुए खड़ी रहती है। क्या हम पूछते हैं कि मां दिनभर काम करने की ऊर्जा कैसे आती है? मां कहती है कि घर का काम करने में कैसी थकावट। मैं नहीं करूंगी तो कौन करेगा। मैं भी ऐसा ही सोचता हूं। दिनभर काम करने के बाद जब बिस्तर पर जाता हूं तो दूसरे दिन नया करने का सोचता हूं।”

‘बच्चों को मां-बाप से कट ऑफ नहीं होना चाहिए’
प्रधानमंत्री ने कहा, ”भारत जैसे देश में यह डिप्रेशन वाली बात जो है वो बहुत परेशान करती है। भारत की जो मूलभूत समाज रचना है उसमें प्रेशर को रिलीज करने की व्यवस्था है। लेकिन दुर्भाग्य से समाज में जो परिवर्तन आए, उनसे चीजें बदल गईं। पहले हमारी ज्वाइंट फैमिली होती थी। इससे बच्चों को अपने आपको अलग-अलग लोगों से एक्सप्रेस करने का अवसर मिलता था। आज स्थिति है कि हम एक्सप्रेशन नहीं सप्रेशन की तरफ जा रहे हैं।”

मोदी ने पिछले साल भी छात्रों से किया था संवाद

यह चर्चा ‘परीक्षा पे चर्चा 2.0’ है। पिछली बार भी मोदी ने छात्रों के साथ संवाद किया था। यह उसी का विस्तार है। इसमें देश-विदेश के दो हजार छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले छात्र 9वीं से 12वीं कक्षा के हैं। कुछ छात्र कॉलेजों के भी हैं।

सभी सरकारी और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के स्कूलों और उच्च शिक्षण संस्थानों में कार्यक्रम के सीधे प्रसारण की व्यवस्था की गई। कार्यक्रम का उद्देश्य बोर्ड की परीक्षाओं से पहले छात्रों को तनाव मुक्त करना और उनकी सही मार्गदर्शन करना है।

एक लाख से ज्यादा छात्र, अभिभावक और शिक्षकों का हुआ था टेस्ट
छात्रों का चयन सात से 17 जनवरी के बीच आयोजित ऑनलाइन परीक्षा के आधार पर किया गया। 1,02,173 छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों ने माईजीओवी डॉट इन पर यह परीक्षा दी थी। इसमें उन्हें तीन थीम- ‘आकर्षक कैप्शन प्रतियोगिता’, ‘मैं प्रेरित हूँ प्रतियोगिता’ और ‘स्नातक तथा निचली कक्षाओं के लिए सफलता का मेरा मंत्र’ दिए गए थे।