भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2022 तक अंतरिक्ष में अपना पहला मानवयुक्त यान भेजने की रूपरेखा तैयार कर ली है. ‘गगनयान’ के नाम से भेजे जाने वाले इस अभियान में एक महिला सहित तीन अंतरिक्ष यात्री शामिल होंगे. ये लोग करीब एक सप्ताह अंतरिक्ष में रहेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले से इसका एलान किया था. शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रोजेक्ट पर मुहर लगते हुए स्पेस में तीन यात्रियों को भेजे जाने की मंजूरी मिल गई है.
भारत इस प्रोजेक्ट में रूस का साझीदार है. इस प्रोजेक्ट के तहत 7 दिनों तक 3 यात्री गगनयान में स्पेस में रहेंगे. इस प्रोजेक्ट में लगभग 10 हजार करोड़ का खर्चा होने की संभावना है. अंतरिक्ष यात्रियों में एक महिला ओर दो पुरुष शामिल होंगे. सात दिनों तक अंतरिक्ष में रहने के बाद चालक दल को लेकर ‘गगनयान’ अरब सागर, बंगाल की खाड़ी या जमीन पर उतर सकता है.
यह उपलब्धि आजादी की 75वीं वर्षगांठ से छह महीने पहले ही हासिल कर ली जाएगी. इस प्रोजेक्ट में पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा से भी मदद ली जाएगीहै. शर्मा पहले ऐसे भारतीय पायलट हैं, जो अप्रैल 1984 में सोयूज टी-11 से अंतरिक्ष में गए थे.
अगर भारत अपने मिशन में कामयाब होता है तो ऐसा करने वाला वह दुनिया का चौथा देश होगा. अब तक अमेरिका, रूस और चीन ने ही अंतरिक्ष में अपना मानवयुक्त यान भेजने में सफलता पाई है.
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