रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की भारत यात्रा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने रूस से चार युद्धपोत की खरीद के सौदे पर मुहर लगा दी है.
इन चार युद्धपोतों में से दो पोत रूस की कंपनी यांतार शिपयार्ड बनाएगी, वहीं बाकि के दो भारत की गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) कंपनी तैयार करेगी. गौरतलब है कि भारत और रूस के बीच साल 2016 में अंतर-सरकारी समझौते के तहत चार युद्धपोत की खरीद पर समझौता हुआ था. भारतीन नौ सेना को ये चार युद्धपोत अगले सात साल में मिल जाएंगे.
बता दें इस समय नौसेना में तीन क्रिवाक/तलवार क्लास और तीन टेग क्लाग युद्धपोत मौजूद हैं, जिन्हें 2003 से 2013 के बीच नौसेना में शामिल किया गया था. 3620 टन वजन वाली एडमिरल ग्रिगोरोविच क्लास रुस द्वारा भारतीय नौसेना के लिए निर्मित क्रिवाक/तलवार क्लास फ्रिगेट का उन्नत संसकरण है. इस युद्धपोत की उच्चतम गति 30 नॉट प्रतिघंटे है जो ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल प्रणाली से लैस होने में सक्षम है. यह चारों एडमिरल ग्रिगोरोविच क्लास ‘प्रोजेक्ट 1135.6’ फ्रिगेट, गैस टर्बाइन इंजन से लैस होंगे जिन्हें यूक्रेन की फर्म यूक्रोबोरोनप्रोम बनाकर तैयार करेगा.
अमेरिकी धमकियों के बीच दोनों देशों के बीच 39,000 करोड़ रुपये की एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली पर भी अंतिम मुहर लग सकती है. एस-400 मिसाइल 400 किमी की दूरी पर जेट, मिसाइल और मानव रहित हवाई वाहनों को नष्ट करने में सक्षम है.
गौरतलब है कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को कहा था कि हम अपने सभी सहयोगी और साझेदारों से अनुरोध करते हैं कि वह रूस के साथ किसी तरह के लेनदेन से बचें, ताकि उन पर CAATSA के तहत प्रतिबंध नहीं लगाना पड़े. भारत के रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली को खरीदने की योजना के बारे में सवाल पर प्रवक्ता ने कहा कि सरकार ने संकेत दिया है कि CAATSA की धारा 231 लगाए जाने के मामले में मुख्य ध्यान क्षमता में नया या गुणात्मक उन्नयन को देखा जाता है-इसमें एस-400 प्रक्षेपास्त्र प्रणाली भी शामिल है.
वहीं अमेरिकी प्रतिबंधों पर भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शन बीएस धनोआ ने कहा था कि CAATSA के तहत अमेरिका प्रतिबंध इस सौदे के बीच में नहीं आएगा. धनोआ ने कहा कि इस मिसाइल रक्षा प्रणाली की डील पर हस्ताक्षर होने के दो साल के बाद इसकी पहले खेप आ जाएगी.
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