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92 वर्षीय रिटायर्ड जज ने सबसे पहले 2012 में दी थी आधार को चुनौती

सु्प्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा वाली पांच जजों की पीठ ने आज आधार पर अहम फैसला सुनाते हुए इसकी वैधता तो बरकरार रखी लेकिन बैंकों ,मोबाइल सिमों और स्कूलों में एडमिशन के लिए इसकी जरूरत को खत्म कर दिया. कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि शिक्षा हमें अंगूठे से बाहर लाई थी लेकिन आज की तकनीक फिर से हमें अगूंठे पर ले आई है. आधार के खिलाफ लड़ाई में कर्नाटक हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस केएस पुट्टास्वामी का नाम भी आता है. जस्टिस केएस पुट्टास्वामी ने 2012 में आधार की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. उस समय मनमोहन सरकार थी.
जस्टिस पुट्टास्वामी ने मनमोहन सरकार से लेकर मोदी सरकार तक अपनी लड़ाई जारी रखी. साल 2010 में जब मनमोहन सरकार ने आधार को लॉन्च किया और विभिन्न सरकारी सेवाओं से इसे जोड़ने की मुहीम शुरू की तो जस्टिस पुट्टास्वामी इसका विरोध किया और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. तब जस्टिस पुट्टास्वामी 86 साल के थे और अब उनकी उम्र लगभग 92 साल हो गई है. जस्टिस पुट्टास्वामी की याचिका के बाद कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी. कोर्ट ने आज उन सभी याचिकों को एकसाथ जोड़कर फैसला सुनाया है.
वहीं जस्टिस पुट्टास्वामी ने कहा कि आधार को चुनौती देने का ख्याल दोस्तों के साथ एक अनौपचारिक चर्चा के दौरान आया था. तब उनके और दोस्तों के बीच काफी लंबी बहस चली थी. जस्टिस पुट्टास्वामी के दोस्त और पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस और बिहार-झारखंड के गवर्नर रहे जस्टिस एम रमा जोयस ने भी आधार को चुनौती दी थी. जोयस आज भी कर्नाटक से भाजपा के राज्यसभा सदस्य हैं. उल्लेखनीय है कोर्ट ने पैन कार्ड और आयकर रिटर्न भरने के लिए आधार को जरूर बताया है.