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चोरी हुई ही नहीं और माल बरामद दिखाकर पुलिस ने एक व्‍यक्‍ति को गिरफ्तार कर लिया

कारनामों के लिए कुख्यात मथुरा Police ने एक और कारनामा कर दिखाया है. यहां की छाता कोतवाली Police ने टैंकर से बिटुमिन चोरी करने के एक ऐसे मामले में चालक को गिरफ्तार करके दो लोगों को भागा हुआ दिखा दिया जिससे कोई चोरी हुई ही नहीं. यही नहीं, सारा मामला खुल जाने के बावजूद इलाका Police भागे हुए लोगों पर नाजायज मांग पूरी करने का दबाव बना रही है. पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के मुताबिक बीती 22 जुलाई की शाम छाता कोतवाली के तत्कालीन प्रभारी प्रमोद पवार मय हमराही फोर्स गश्त पर निकले तो उन्हें नेशनल हाईवे पर के. डी. मेडिकल के पास चौधरी ढाबे के सामने एक व्यक्ति टैंकर नंबर यूपी 85 ए टी 8267 से ड्रम में बिटुमिन निकाल कर बेचता मिला.
पुलिस ने इस व्यक्ति को पकड़ लिया. एफआईआर के अनुसार पकड़े गए व्यक्ति हरीश कुमार पुत्र जगन्नाथ निवासी थोक कोयला अलीपुर थाना रिफाइनरी मथुरा ने बताया कि उसके साथ इस काम में दो व्यक्ति और शामिल थे जिनके नाम मदन और विवेक नागपाल हैं. मदन छाता कोतवाली क्षेत्र का ही निवासी है जबकि विवेक नागपाल थाना हाईवे अंतर्गत पॉश कॉलोनी राधापुरम एस्टेट में रहता है. पुलिस के अनुसार हरीश ने अपना जुर्म स्वीकार करते हुए बताया कि वह बिटुमिन से भरे टैंकर को भटिंडा से बदायूं लेकर जा रहा था. लालचवश अवैध रूप से बिटुमिन की बिक्री करने लगा. छाता पुलिस ने यह मामला अपराध संख्या 0442/18 धारा 379, 411, 420 एवं 406 आईपीसी के तहत दर्ज कर टैंकर चालक हरीश का चालान कर दिया. पुलिस ने मौके से बिटुमिन से भरे दो ड्रम तथा दो खाली ड्रम बरामद दिखाए. एसएचओ प्रमोद पवार ने इस केस की विवेचना छाता कोतवाली में ही तैनात एसआई प्रवीन्द्र कुमार को सौंप दी.
पुलिस की इस कार्यवाही में यहां तक तो सब ठीक प्रतीत होता रहा परंतु असलियत तब सामने आई जब बिटुमिन से भरे टैंकर का मालिक सचिन गर्ग पुत्र स्नेह बिहारी गर्ग निवासी मयूर विहार थाना कोतवाली मथुरा, न्यायिक मजिस्ट्रेट छाता के आदेश से टैंकर को अपने पक्ष में रिलीज कराने पहुंचा. सचिन गर्ग के अनुसार उसका ड्राइवर हरीश टैंकर नंबर यूपी 85 ए टी 8267 में एचपीसीएल भटिंडा से पूरे कागजों के साथ 23600 केजी बिटुमिन भरकर चला था और उसे ये बिटुमिन डीआर बिल्ट स्टेट प्रालि के हॉटमिक्स प्लांट पर मुजरिया (बदायूं) में खाली करना था. सचिन गर्ग के अनुसार उन्होंने जब टैंकर को छाता कोतवाली पुलिस से अपने पक्ष में रिलीज कराया तो पता लगा कि टैंकर में से एक किलो भी बिटुमिन कम नहीं हुआ है और वह पूरा 23600 केजी बिटुमिन से भरा है.
टैंकर बिटुमिनने इसके बाद एसएसपी मथुरा को बाकायदा अपना शपथ पत्र देकर अवगत कराया कि उनके टैंकर से जब बिटुमिन की कोई चोरी हुई ही नहीं तो पुलिस ने उनके टैंकर चालक को किस आधार पर गिरफ्तार कर संगीन आपराधिक धाराओं में चालान कर दिया. सचिन गर्ग ने अपने शपथ पत्र द्वारा एसएसपी मथुरा को इस बात से भी अवगत कराया कि उनका ड्राइवर जिस वक्त चौधरी ढाबे पर खाना खा रहा था तभी इलाका पुलिस वहां जा पहुंची और ड्राइवर से अनुचित मांग करने लगी.
ड्राइवर द्वारा पुलिस की मांग पूरी करने में असमर्थता व्यक्त करने पर पुलिस ने उसे झूठे आरोप में जेल भेज दिया. सचिन गर्ग ने अपने शपथ पत्र में यह भी लिखा है कि जिन दो लोगों मदन एवं विवेक नागपाल को पुलिस ने अपनी एफआईआर में मौके से भागा हुआ दिखाया है, उनका भी न तो हमसे और न टैंकर के बिटुमिन से कोई लेना-देना है. इस संबंध में पूछे जाने पर विवेक नागपाल ने बताया कि वह बिटुमिन और तारफैल्ट की ट्रेडिंग करने वाला पंजीकृत व्यापारी है और बाकायदा नियमित टैक्स अदा करता है. ऐसे में सबसे पहला सवाल यहां यह खड़ा होता है कि छाता पुलिस ने जब टैंकर पकड़ा तभी उसके मालिक से संपर्क स्थापित क्यों नहीं किया जबकि टैंकर मालिक मथुरा में ही रहता है.
पुलिस की कार्यप्रणाली पर दूसरा सवाल टैंकर मालिक ने अपने शपथ पत्र में यह पूछते हुए खड़ा किया है कि जब उनके द्वारा अपने टैंकर से बिटुमिन चोरी होने की कोई रिपोर्ट ही दर्ज नहीं कराई गई और न टैंकर से बिटुमिन चोरी हुआ, न ड्राइवर ने कोई धोखाधड़ी की तो पुलिस ने खुद-ब-खुद धारा 379, 411, 420 एवं 406 आईपीसी के तहत एफआईआर कैसे दर्ज कर ली जबकि सामान्यत: पुलिस किसी ऐसे मामले में कभी पार्टी नहीं बनती. पुलिस पर तीसरा और सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है जब टैंकर में से बिटुमिन कम हुआ ही नहीं तो पुलिस ने ड्राइवर हरीश के कब्जे से जो दो ड्रम बिटुमिन बरामद दिखाकर केस दर्ज किया, उस बिटुमिन का इंतजाम पुलिस ने कहां से किया. पुलिस की मनमानी कार्यप्रणाली के चलते अदालत ने टैंकर चालक हरीश को जमानत दे दी और सचिन गर्ग को एसएसपी के नाम शपथ पत्र देना पड़ा. गौरतलब है कि समूचा छाता क्षेत्र काले तेल के अवैध धंधे के लिए पहचाना जाता है और इस धंधे को न सिर्फ इलाका पुलिस का बल्कि प्रभावशाली राजनेताओं का भी हमेशा संरक्षण रहा है.
पुलिस और नेताओं की इस मिलीभगत के तमाम मामले सामने आ चुके हैं और इसीलिए छाता क्षेत्र सहित लगभग पूरा मथुरा जनपद काले तेल के अवैघ खेल का गढ़ बना हुआ है. पुलिस और नेताओं के इस कॉकस की मर्जी के बिना यहां कोई व्यापारी अपना कारोबार चैन से नहीं कर सकता. जो इनकी मर्जी के खिलाफ जाकर कारोबार करने की हिमाकत करते हैं, उन्हें उसका परिणाम देर-सबेर भुगतना पड़ जाता है. यही कारण है कि जिस टैंकर से न बिटुमिन चोरी हुआ और न टैंकर मालिक ने कोई केस दर्ज कराया, न उसे अपने ड्राइवर से कोई शिकायत थी, बावजूद इसके पुलिस ने एक ओर जहां ड्राइवर पर बिटुमिन चोरी का आरोप लगाकर उसे जेल भेज दिया वहीं दूसरी ओर विवेक नागपाल जैसे रजिस्टर्ड व्यापारी और मदन जैसे किसान को भागा हुआ आरोपी बना दिया.
सच तो यह है कि पुलिस के इस कारनामे की जानकारी मिलने के बाद शुगर, बीपी, थायराइड एवं हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों से ग्रस्त विवेक नागपाल को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की शरण में जाना पड़ा क्यों कि पुलिस उन पर भी अनुचित मांग पूरी करने का लगातार दबाव बना रही थी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय से विवेक नागपाल को अरेस्ट स्टे तो मिल गया किंतु चार्जशीट सबमिट किए जाने तक के लिए, लिहाजा पुलिस अब भी उन पर बराबर दबाव बनाए हुए है. पुलिस का कहना है कि यदि वो इस केस में से अपना नाम निकलवाना चाहते हैं तो जैसा आईओ कहे, वैसा कर दें अन्यथा जेल जाना पड़ेगा.
पुलिस की इस हरकत से बेहद डरे हुए विवेक नागपाल ने एसपी देहात को भी सारी बातों से अवगत कराया. एसपी देहात ने आईओ से निष्पक्ष जांच करने को कहा भी किंतु आईओ को विवेक नागपाल का एसपी देहात से मिलना काफी नागवार गुजरा. उन्होंने विवेक को चेतावनी दी कि भविष्य में किसी अधिकारी के पास गए तो मुश्किल में पड़ जाओगे. उल्लेखनीय है कि रविवार रात में बल्देव क्षेत्र के भाजपा विधायक पूरन प्रकाश को अपने चुनाव क्षेत्र की जनता से मिली शिकायतों के आधार पर महावन थाने के अंदर धरना देना पड़ा.
ग्रामीणों की शिकायत थी कि थाना प्रभारी अरविंद पाल अपने अधीनस्थ उप निरीक्षकों के माध्यम से मामूली मामलों में भी जबरन मोटी वसूली करा रहे हैं और किसी मामले को बिना लेन-देन के रफा-दफा नहीं करते. भ्रष्टाचार के खिलाफ विधायक के धरने पर बैठने का यह मामला लखनऊ तक पहुंचा और तब रात साढ़े बारह बजे डीएम व एसएसपी ने थानेदार व दो उपनिरीक्षकों को हटाने का ऐलान करके सत्ताधारी दल के विधायक का धरना समाप्त कराया.