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प्रदेश में नदियों के पुनरुद्धार का कार्य जारी, भू-जल के संरक्षण पर भी दिया जा रहा ध्यान : सीएम योगी

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कहा कि प्राणिमात्र के कल्याण के लिए जल का संरक्षण (Water Conservation) आवश्यक है। जल को जीवन का प्रतिरूप माना जाता है। भारतीय मनीषा ने जल को महत्व दिया है। शास्त्रों में जल की स्तुति के सन्दर्भाें की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्र जल संरक्षण की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में केन्द्र व प्रदेश सरकार द्वारा भू-जल के संरक्षण एवं नियोजन, सरफेस वाॅटर की स्वच्छता एवं निर्मलता बनाए रखने, शुद्ध पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कार्य किया जा रहा है। इसके लिए ‘अटल भू-जल योजना’, ‘नमामि गंगे’ परियोजना, ‘हर घर नल’ आदि योजनाएं लागू की गयी हैं।

सीएम योगी आज यहां अपने सरकारी आवास पर आयोजित ‘टाइम्स वाॅटर समिट-2020’ में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वाॅटर समिट के माध्यम से जल संकट एवं जल संरक्षण के सम्बन्ध में टाइम्स ग्रुप का जागरूकता अभियान सराहनीय पहल है। उन्होंने कहा कि यह अभियान मानवता के साथ ही जीव सृष्टि के संरक्षण का कार्य है। राज्य सरकार अभियान को पूरा सहयोग प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश जल के मामले में एक समृद्धिशाली राज्य है। 

फलस्वरूप तमसा, आमी, मनोरमा, अरिल सहित कई नदियां पुनर्जीवित हुई हैं। उन्होंने कहा कि नदियों के साथ ही तालाबों, पोखरों के संरक्षण एवं भू-जल के संरक्षण पर भी ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए प्लास्टिक को बैन करने के साथ ही, प्लास्टिक के उत्पादों के स्थान पर मिट्टी के वैकल्पिक उत्पाद सुलभ कराने तथा कुम्हारी कला का कार्य कर रहे कारीगरों के कल्याण के लिए माटी कला बोर्ड का गठन किया गया।

सीएम योगी ने कहा कि राज्य सरकार ने व्यवस्था की है कि अप्रैल से जून माह तक गांव का कुम्हार, गांव के तालाब से निःशुल्क निकाल सकता है। इससे बारिश के दौरान जल संरक्षण के लिए तालाब तैयार हो जाते हैं। कुम्हारों को निःशुल्क मिट्टी के अतिरिक्त सोलर चाक, इलेक्ट्रिक चाक आदि व्यवस्थाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं। परिणामस्वरूप लोगों को प्लास्टिक के उत्पादों के स्थान पर मिट्टी के सस्ते एवं पर्यावरणनुकूल उत्पाद प्राप्त हो रहे हैं। प्रदेश में इसी प्रकार के अनेक माॅडल स्थापित किए गए हैं। वाराणसी माॅडल में अप्रयुक्त हो गये हैण्डपम्पों का उपयोग जिला प्रशासन द्वारा वाॅटर रिचार्जिंग के लिए किया जा रहा है। चित्रकूट में जिला प्रशासन द्वारा विद्यालयों एवं सरकारी भवनों की छतों के वर्षा जल का रेन वाॅटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से संरक्षण किया जा रहा है। जल संकट के कारण बुन्देलखण्ड में टैंकरों से पानी पहुंचाया जाता था।भू-जल एवं सरफेस वाॅटर के संरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2017 से लेकर अब तक निरन्तर प्रतिवर्ष वृक्षारोपण का महाअभियान संचालित किया गया। वर्ष 2017 में 05 करोड़, वर्ष 2018 में 11 करोड़, वर्ष 2019 में 22 करोड़, वर्ष 2020 में 25 करोड़ वृक्षारोपण कराया गया। इन वृ़क्षों में अधिकतर पीपल, पाकड़, आम, नीम, बरगद जैसे वृक्ष सम्मिलित हैं।

समिट को संबोधित करते हुए जल शक्ति मंत्री डाॅ महेन्द्र सिंह ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जल संरक्षण, वाॅटर रिचार्ज, किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए निरन्तर कार्य किया जा रहा है। वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल में अनेक बड़ी परियोजनाओं को पूरा किया गया है। इससे लगभग 3 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित हुई है।