ब्रजबिहारी, नई दिल्ली। पूरे साल भर जिस दक्षिण पश्चिम मानसून का इंतजार रहता है, वह इस बार भी उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब और हरियाणा से रुठा हुआ है, जबकि गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान है।
जुलाई से लेकर सितंबर के बीच होने वाली इस बारिश का देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान है लेकिन पिछले एक दशक में इसके व्यवहार में इतना ज्यादा परिवर्तन आया है कि नीति निर्माताओं को चिंता होने लगी है।
सवाल है कि ऐसा क्यों हो रहा है? विशेषज्ञों की मानें तो पिछले कुछ सालों के दौरान जलवायु परिवर्तन के कारण मानसूनी हवाएं बंगाल की खाड़ी के बजाय अरब सागर से उठ रही हैं।
इस वजह से उत्तर भारत में कम बारिश हो रही है जबकि उत्तर पश्चिम के राज्यों में जरूरत से ज्यादा वर्षा हो रही है।
अहमदाबाद में टूटा था 100 साल का रिकॉर्ड
गुजरात के अहमदाबाद में इस साल भी जुलाई में औसत से ज्यादा बारिश हो रही है। पिछले साल तो 100 साल का रिकॉर्ड टूट गया था। 1905 के बाद पहली बार इस शहर में 952.5 मिमी बारिश हुई थी। अहमदाबाद के अलावा बनासकांठा, पाटन और सुरेंद्रनगर में भी इतनी बारिश हुई कि लोगों ने कहा कि ऐसी बरसात तो देखी ही नहीं।
जयपुर में 31 साल का रिकॉर्ड टूटा
राजस्थान के जयपुर शहर में 2012 में 17 सेमी बारिश रिकॉर्ड की गई। इससे पहले गुलाबी नगरी में 1981 में 32.6 सेमी बारिश हुई थी। जयपुर के अलावा सवाई माधोपुर, बीकानेर, भरतपुर, प्रतापगढ़ और सीकर में भी पिछले कुछ सालों से खूब बारिश हो रही है।
उत्तर प्रदेश और बिहार में सूखा
राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इन दोनों राज्यों में इस साल मानसून जमकर बेरूखी दिखा रहा है। इन दोनों राज्यों के साथ पंजाब एवं हरियाणा में 50 फीसद तक कम बारिश हुई है।
विडंबना देखिए कि ये पांचों राज्य खरीफ की फसलों की पैदावार के मामले में काफी अहम स्थान रखते हैं, लेकिन इनमें बारिश ही नहीं हो रही है। जबकि कम पानी में होने वाले मोटे अनाज के लिए माकूल राजस्थान और गुजरात अतिवर्षा का शिकार हैं।
बदल रहा मानसून का मिजाज
मानसून के लांग टर्म ट्रेंड को देखा जाए तो 1976 के बाद से इसका स्वभाव बदल रहा है। एक तो यह देरी से आ रहा है और जल्दी चला जा रहा है।
इसे सितंबर तक सक्रिय रहना चाहिए जबकि यह एक हफ्ते पहले ही वापस चला जा रहा है। इसके अलावा मानसूनी बारिश में साल दर साल 10 फीसदी की कमी आ रही है।
यही नहीं, पहले जिन इलाकों में बारिश कम होती थी वहां ज्यादा हो रही है, जबकि जहां ज्यादा बारिश होती थी, वहां कम हो रही है।
ग्लोबल वार्मिंग है जिम्मेदार
मानसून सीजन में एक्टिव पीरियड के बीच-बीच में ब्रेक पीरियड आते हैं। एक्टिव पीरियड में बारिश होती है जबकि ब्रेक पीरियड में यह थम जाती है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण एक्टिव पीरियड की अवधि कम हो रही है और ब्रेक पीरियड की बढ़ रही है।
बंगाल की खाड़ी में कमजोर हो रहा मानसून
मानसून के दौरान आधी से ज्यादा बारिश बंगाल की खाड़ी से उठने वाली नम हवाओं के सिस्टम के कारण होती है।
पिछले कुछ सालों से यह सिस्टम कमजोर पड़ रहा है, जबकि अरब सागर का सिस्टम मजबूत हो रहा है, जिसकी वजह से राजस्थान और गुजरात में ज्यादा बारिश हो रही है।
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