पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार अब केंद्र सरकार की भिखारियों के लिए शुरू की जा रही पुनर्वास योजना में शामिल होने को लेकर असमंजस में है. सूत्रों के अनुसार इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर बंगाल को छोड़कर देश के लगभग सभी राज्यों ने केंद्र को मसौदा सौंप दिया है, लेकिन केंद्र की ओर से लगातार पत्र भेजने के बावजूद बंगाल की ओर से अभी तक कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया है.
राजनीतिक जानकारों की मानें तो सत्ताधारी दल को डर है कि बंगाल में सबसे ज्यादा भिखारियों का मुद्दा भाजपा को हाथ लग सकता है, जो आगामी विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के लिए महंगा पड़ सकता है.
दरअसल सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने देशभर में भिखारियों के लिए एक व्यापक पुनर्वास योजना शुरू की है. इसके तहत सबसे पहले देश के चुनिंदा 10 शहरों को भिखारी मुक्त करना है, जिसमें कोलकाता भी शामिल है. इसमें पहचान, पुनर्वास, चिकित्सा सुविधाओं का प्रावधान, परामर्श, शिक्षा, कौशल विकास आदि शामिल होंगे. इसके लिए सभी राज्यों से भिखारियों का समुचित आंकड़ा मांगा गया है.
सूत्रों के अनुसार बंगाल को छोड़कर लगभग सभी राज्यों ने केंद्र को भिखारियों से संबंधित अपना मसौदा भेज दिया है, लेकिन बंगाल की ओर से अभी तक कोई आंकड़ा नहीं भेजा गया है. योजना के क्रियान्वयन को लेकर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से राज्य को कई बार पत्र भेजा गया है. पिछले हफ्ते ही मंत्रालय के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने इस संबंध में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोलकाता नगर निगम के आयुक्त से बात की है, लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला है.
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