रूस-यूक्रेन युद्ध ने विश्व को दो गुटों में बांट दिया है। जहां एक ओर अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो देश है, तो दूसरी तरफ रूस और चीन से जुड़े कुछ अन्य देश हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत बिना किसी देश के दबाव में आए और किसी गुट में शामिल हुए स्वतंत्र विदेशी नीति का पालन कर रहा है। मोदी सरकार ने तटस्थ रुख़ अपनाते हुए रूस और अमेरिका, दोनों विरोधी देशों के साथ अपने रिश्तों में निकटता बनाए रखा है। वहीं भारत, विश्व के लगभग सभी मंचों पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है। G-20, SEO और UNSC जैसे विश्व के तीन बड़े वैश्विक संगठनों की कमान भारत के हाथ में आने से जहां भारत के सामने बेहतर मौके होंगे, वहीं चुनौतियां भी होंगी। इसमें भारतीय विदेश नीति के कौशल की परीक्षा होने वाली है। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक नेता के रूप में छवि बहुत मददगार साबित होने वाली है।
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