प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गरीबी को करीब से देखा और महसूस किया है। इसलिए वे गरीबों की जरूरतों और उनकी परेशानियों से पूरी तरह से परिचित हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने गरीबों पर महंगी दवाइयों का बोझ कम करने और समुचित इलाज के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना की शुरुआत की। जन औषधि से मिलने वाली सस्ती दवाई गरीबों के लिए संजीवनी बन रही है। यही वजह है कि पिछले आठ सालों में जन औषधि की बिक्री में 100 गुना बढ़ोतरी हुई है। 2014-15 से लेकर अब तक इन सस्ती दवाइयों की बिक्री का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। पहले साल जहां इन दवाओं की बिक्री 7.29 करोड़ की बिक्री हुई थी वहीं 2015-16 में 12.16 करोड़, 2016-17 में 32.66 करोड़, 2017-18 में 140.84 करोड़, 2018-19 में 315.70 करोड़, 2019-20 में 433.61 करोड़, 2020-2021 में 665.83 करोड़ और 2021-2022 में 893.56 करोड़ रुपये की बिक्री हुई। इस परियोजना से ना सिर्फ गरीब बल्कि मध्यमवर्ग के परिवारों के लोगों को भी काफी मदद मिल रही है। इस परियोजना के तहत देशभर में 8 हजार से अधिक जन औषधि केंद्र खोले गए हैं। इससे दवाइयों पर होने वाले खर्च में काफी कमी आई है। दवाओं पर खर्च को कम कर उपचार लागत को भी कम किया गया है।
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