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अपनी खोई हुई विरासत को फिर से संजो रही मोदी सरकार,अमेरिका ने भारत को लौटाईं 307 प्राचीन वस्तुएं,

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बागडोर संभालने के बाद खोई हुई सांस्कृतिक विरासत को फिर से हासिल करने और उनके संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय काम किया है। प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तिगत प्रयासों से ऐसे सैकड़ों प्राचीन वस्तुओं या मूर्तियों को विदेशों से वापस लाने में सफलता मिली है, जिन्हें दशकों पहले चोरी और तस्करी के जरिए विदेश भेज दिया गया था। आज मोदी सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि अमेरिका ने 307 प्राचीन वस्तुएं भारत को वापस लौटा दीं हैं।

दरअसल तस्करी के जरिए ये प्राचीन वस्तुएं भारत से चुराकर अमेरिका भेजी गईं थीं। 15 साल जांच के बाद अंतत: अमेरिका ने इन वस्तुओं को भारत को वापस लौटा दीं हैं। इन सामानों की कुल कीमत करीब 40 लाख डालर है। मैनहट्टन डिस्ट्रिक्ट अटार्नी के कार्यालय ने आर्ट डीलर सुभाष कपूर से कुल 307 में से 235 अमूल्य वस्तुएं जब्त की हैं। ये जब्त पुरावशेष भारत के साथ-साथ अफगानिस्तान, कंबोडिया, इंडोनेशिया, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाइलैंड और अन्य देशों से तस्करी कर अमेरिका ले जाई गई थीं। 

मैनहट्टन डिस्ट्रिक्ट अटार्नी कार्यालय ने एक बयान जारी कर बताया कि न्यूयार्क स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में एक समारोह के दौरान इन सभी वस्तुओं के जब्ती की कार्रवाई की गई। इस दौरान भारत के महावाणिज्यदूत रणधीर जायसवाल और यूएस होमलैंड सिक्योरिटी इंवेस्टिगेशन के कार्यवाहक डिप्टी स्पेशल एजेंट-इन-चार्ज क्रिस्टोफर लाउ मौजूद थे। डीए के कार्यालय ने 2012 में कपूर के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया था और नवंबर 2019 में कपूर और उनके सात अन्य सहयोगियों को चोरी की प्राचीन वस्तुओं की तस्करी की साजिश के लिए आरोपित किया गया था।

अमेरिका ने भारत को जिन वस्तुओं को वापस किया है, उनमें 12-13वीं शताब्दी की आर्क परिकारा भी है, जो संगमरमर से तैयार है। इसकी कीमत लगभग 85 हजार डालर है। इसे आर्ट डीलर कपूर से जब्त किया गया था।इसे सुभाष कपूर ने मई 2002 में तस्करी कर न्यूयार्क भेजा था। साल 2007 में कपूर ने आर्क परिकारा को नाथन रुबिन इडा लड्ड फैमिली फाउंडेशन को दान कर दिया था, जिन्होंने 2007 में येल यूनिवर्सिटी आर्ट गैलरी को इसे दान कर दिया।