प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 में सत्ता संभालने से पहले भारत रक्षा सहित कई क्षेत्रों में आयात पर निर्भर था लेकिन पिछले आठ साल में मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान की बदौलत देश हर क्षेत्र में अपनी जरूरत पूरी करने के साथ ही निर्यात में लंबी छलांग लगा रहा है। बीते 75 वर्ष में भारत दुनिया में रक्षा उत्पादों के सबसे बड़े आयातकों में से एक रहा है और मोदी सरकार ने इस स्थिति को बदल दिया है। आज भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के साथ ही दूसरे देशों को भी निर्यात कर रहा है। रक्षा उत्पादों का बाजार बहुत बड़ा है और इससे काफी लाभ होने वाला है। आत्मनिर्भर होते भारत की कहानी देखिए कि आज से कुछ साल पहले तक समुद्री पनडुब्बियों में इस्तेमाल होने वाली बैटरी लोडिंग ट्राली एक बहुतायत से इस्तेमाल होने वाला उपकरण है। इसे मैसर्स नेवल ग्रुप फ्रांस से आयात किया जाता था, जिसे अब हैदराबाद की स्टार्टअप कंपनी एसईसी इंडस्ट्रीज द्वारा तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा पनडुब्बियों में इस्तेमाल होने वाले वातानुकूलन संयंत्र का आयात मैसर्स सनोरी फ्रांस से हो रहा था, जिसे कारद स्थित श्री रेफ्रीजरेशन ने तैयार कर लिया है। इसी प्रकार वेंटीलेसन वालव्स का आयात ब्रिटेन से किया जा रहा था, जिसका निर्माण अहमदाबाद की कंपनी मैसर्स चामुंडा वालव्स द्वारा किया जा रहा है। रिमोट कंट्रोल वालव्स का आयात ब्रिटेन की कंपनी थामपसन से किया जा रहा था, जिसका निर्माण पुणे की कंपनी मैसर्स डेलवाल ने शुरू कर दिया है। पीएम मोदी की संकल्पशक्ति और विजन से आज दुनिया भर में भारत दबदबा बढ़ा है। अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश भी भारत की तकनीकी सफलता का लोहा मानने लगे हैं और अपनी नौसेना के जंगी जहाज को मरम्मत के लिए भारत भेज रहे हैं।
रक्षा तकनीकों के देश में निर्माण होने से इनके आयात में 40-60 प्रतिशत तक की कमी आने का अनुमान है। दूसरे, इससे हर साल भारी मात्रा में विदेश मुद्रा की बचत होगी। साथ ही रोजगार सृजित होंगे। रक्षा तकनीकों के देश में निर्माण होने से रक्षा क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बन रहा है। भारत अपने रक्षा उपकरणों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता की तरफ अग्रसर होने के साथ ही बड़े निर्यातक के रूप में उभर रहा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत अब रक्षा उत्पादों के निर्यात करने वाले शीर्ष 25 देशों की सूची में शामिल हो गया है। भारत ने मिसाइल और अन्य रक्षा उपकरणों के निर्यात के लिए कई देशों से समझौता किया है। रक्षा क्षेत्र के साथ ही आज देश हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के साथ ही निर्यात बढ़ा रहा है। चाहे वह खाद्य उत्पाद हो, मसाला हो, फार्मा हो, संगीत उपरकरण हो, इलेक्ट्रॉनिक्स हो या फिर खिलौने, भारत सफलता के झंडे गाड़ रहा है। खिलौना एक ऐसा सेक्टर था जिसमें भारत काफी पिछड़ा हुआ था और हमारे बाजारों में चीन के खिलौने भरे रहते थे। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ आह्वान और भारतीय खिलौना की रीब्रांडिंग की एक अपील ने भारत के खिलौना क्षेत्र को बदल कर रख दिया। अगस्त 2020 में ‘मन की बात’ के अपने संबोधन में पीएम मोदी ने ‘भारतीय खिलौना स्टोरी की रीब्रांडिंग’ की अपील की थी और घरेलू डिजाइनिंग को सुदृढ़ बनाने तथा भारत को खिलौनों के लिए एक वैश्विक विनिर्माण हब बनाने की अपील की थी। उनकी प्रेरणा से आज देश में खिलौना उद्योग तेजी से फल-फूल रहा है। यही नहीं जिस संगीत वाद्य उपकरणों की कभी चर्चा तक नहीं होती थी, उसके निर्यात में भी आज भारत महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज कर रहा है।
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