जब दुनिया कोरोना के चलते त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रही थी, उस मुश्किल वक्त में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘जान है तो जहान है’ और ‘जान भी, जहान भी’ के मंत्रों के साथ भारत ने कोविड का डटकर मुकाबला किया। प्रधानमंत्री मोदी की कुशल रणनीति, विजन, दूरदृष्टि, अटल इरादों और अनथक प्रयासों का ही सुपरिणाम है कि कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार पर ब्रेक लगा और वैक्सीन के रूप में 195 करोड़ से अधिक लोगों को सुरक्षा कवच मिला, वहीं 98 देशों को कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति कर भारत संकटमोचक बन गया। आज इसकी तारीफ संयुक्त राष्ट्र की प्रतिनिधि से लेकर पूरी दुनिया कर रही है।
संयुक्त राष्ट्र के सहायक महासचिव और यूएनडीपी एशिया प्रशांत क्षेत्रीय निदेशक कन्नी विग्नाराजा ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया से सोमवार (13-06-2022) को मुलाकात की। यूएनडीपी के निदेशक ने नवीन तकनीकों और उपकरणों का उपयोग करके COVID-19 के प्रबंधन में भारत की सफलता की सराहना की। इस बैठक में यूएनडीपी इंडिया के प्रतिनिधि शोको नोडा ने भी मौजूद थीं। बैठक की जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने कहा कि बैठक के दौरान डिजिटल माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को सभी के लिए सुलभ बनाने को लेकर चर्चा की गई।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कोरोना टीकाकरण और वैक्सीन वितरण में मददगार CoWin पोर्टल के विकास में यूएनडीपी के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। देश में कोरोना बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “कोविड अभी खत्म नहीं हुआ है। कुछ राज्यों में कोविड के बढ़ते मामलों के साथ सतर्क रहना और कोविड-उपयुक्त व्यवहार (सीएबी) को नहीं भूलना चाहिए है।” उन्होंने कहा कि टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट, टीकाकरण और कोविड उपयुक्त व्यवहार (सीएबी) के पालन की पांच स्तरीय रणनीति को जारी रखने और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा निगरानी रखने की जरूरत है।
कोविड महामारी से लड़ने के लिए भारत के प्रयासों की बात करें तो इसकी दस्तक के साथ ही भारत ने जहां सबसे सख्त लॉकडाउन लगाया, वहीं दूसरी ओर अपने स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के साथ ही इस बीमारी से लड़ाई की जोरदार तैयारियां शुरू कर दीं। अप्रैल 20 में वैक्सीन के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया। बजट में 35000 करोड़ रुपये वैक्सीन के शोध और विकास के लिए रखे गए। पीएम केयर्स फंड बनाकर कोविड के खिलाफ लड़ाई को मजबूत किया गया। मात्र आठ माह में ही न केवल दो-दो वैक्सीन भारत को मिल गईं, बल्कि इनके भंडारण, परिवहन, खरीद, कोल्ड चेन से लगाने तक की पूरी रूपरेखा बनाकर 16 जनवरी 2021 से विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया गया।
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