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घोटालों की शय्या पर लेटे सत्ताविहीन लालू

भ्रष्टाचार के साथ भी और भ्रष्टाचार के बाद भी एक ही नाम दोहराया जाएगा, लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार! फर्क नहीं पड़ता कि वो सत्ता में रहे या न रहे, भ्रष्टाचार करना है तो कहीं से भी रास्ता निकाल ही लेंगे। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार का नया मामला दर्ज किया है। जांच एजेंसी राजद सुप्रीमो से संबंधित दिल्ली और बिहार में 17 स्थानों पर छापेमारी कर रही है। इस बार बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ दर्ज नया मामला ‘रेलवे नौकरी के बदले जमीनÓ से जुड़ा है जिसपर न केवल लालू पर कानूनी फंदा कसने वाला है, बल्कि इसबार उनकी बेटी का भी रिकॉर्ड सामने आ गया है जिसपर जांच जारी है।


दरअसल, केंद्रीय जांच एजेंसी ने नए मामले में लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी, बेटी और परिवार के अन्य सदस्यों को भी आरोपी बनाया है। इसी बीच राजद सुप्रीमो लालू यादव के कई ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी के विरोध में राजद नेता और कार्यकर्ता पटना की सड़कों पर उतर आए हैं। चारा घोटाला मामले में जमानत मिलने के कुछ हफ्ते बाद ही लालू प्रसाद यादव पर वर्ष 2004 और 2009 के बीच रेल मंत्री रहते हुए भर्ती में कथित अनियमितताओं को लेकर भ्रष्टाचार का एक नया मामला दर्ज किया गया है।यही नहीं, लालू यादव के अलावा उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनकी बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती एवं परिवार के अन्य सदस्यों को नए मामले में आरोपी बनाया गया है।

 केंद्रीय जांच ब्यूरो ने राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया से जुड़े 17 स्थानों पर तलाशी शुरू की, जिसमें उनके आवास भी शामिल हैं। नए मामले में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों को रेलवे की नौकरी की एवज में जमीन और संपत्ति रिश्वत के रूप में मिली थी।
73 वर्षीय वयोवृद्ध नेता लालू यादव पिछले महीने झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा 139 करोड़ रुपये के डोरंडा ट्रेजरी घोटाला मामले में जमानत देने के बाद जेल से बाहर आए थे। सीबीआई की एक विशेष अदालत ने फरवरी में उन्हें इस मामले में पांच साल जेल की सजा सुनाई थी। उन पर ?60 लाख का जुर्माना भी लगाया गया था। जहां से उगाही हो सके वहां से होगी, इसी कथन को आत्मसात करते हुए लालू परिवार ने भरपेट घोटाले किए।

 भ्रष्टाचार के साथ भी और भ्रष्टाचार के बाद भी एक ही नाम दोहराया जाएगा, लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार! फर्क नहीं पड़ता कि वो सत्ता में रहे या न रहे, भ्रष्टाचार करना है तो कहीं से भी रास्ता निकाल ही लेंगे। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार का नया मामला दर्ज किया है। जांच एजेंसी राजद सुप्रीमो से संबंधित दिल्ली और बिहार में 17 स्थानों पर छापेमारी कर रही है। इस बार बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ दर्ज नया मामला ‘रेलवे नौकरी के बदले जमीनÓ से जुड़ा है जिसपर न केवल लालू पर कानूनी फंदा कसने वाला है, बल्कि इसबार उनकी बेटी का भी रिकॉर्ड सामने आ गया है जिसपर जांच जारी है।
दरअसल, केंद्रीय जांच एजेंसी ने नए मामले में लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी, बेटी और परिवार के अन्य सदस्यों को भी आरोपी बनाया है। इसी बीच राजद सुप्रीमो लालू यादव के कई ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी के विरोध में राजद नेता और कार्यकर्ता पटना की सड़कों पर उतर आए हैं। चारा घोटाला मामले में जमानत मिलने के कुछ हफ्ते बाद ही लालू प्रसाद यादव पर वर्ष 2004 और 2009 के बीच रेल मंत्री रहते हुए भर्ती में कथित अनियमितताओं को लेकर भ्रष्टाचार का एक नया मामला दर्ज किया गया है।


यही नहीं, लालू यादव के अलावा उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनकी बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती एवं परिवार के अन्य सदस्यों को नए मामले में आरोपी बनाया गया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया से जुड़े 17 स्थानों पर तलाशी शुरू की, जिसमें उनके आवास भी शामिल हैं। नए मामले में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों को रेलवे की नौकरी की एवज में जमीन और संपत्ति रिश्वत के रूप में मिली थी।


73 वर्षीय वयोवृद्ध नेता लालू यादव पिछले महीने झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा 139 करोड़ रुपये के डोरंडा ट्रेजरी घोटाला मामले में जमानत देने के बाद जेल से बाहर आए थे। सीबीआई की एक विशेष अदालत ने फरवरी में उन्हें इस मामले में पांच साल जेल की सजा सुनाई थी। उन पर ?60 लाख का जुर्माना भी लगाया गया था। जहां से उगाही हो सके वहां से होगी, इसी कथन को आत्मसात करते हुए लालू परिवार ने भरपेट घोटाले किए। सत्ता से 20 वर्षों से अधिक समय तक दूर रहने के बाद भी आरजेडी के घोटालों की सीमा ख़त्म ही नहीं हो रही है।

अब सीबीआई के एक्शन के बाद इस दुखियारी पार्टी ने अपने दु:ख को साझा करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया। वो बात अलग है सत्य तो सब जानते हैं कि उन्होंने कांड ही इतना किया है, भरना तो पड़ेगा ही। राजद ने अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया कि “तथाकथित रेलवे घोटाले के संबंध में कई छापे मारे गए हैं, लेकिन कुछ भी नहीं मिला है। लालू जी 2004 से 2009 तक रेल मंत्री थे। अगर 13 साल बाद सीबीआई को छापेमारी करने की जरूरत है, तो आप समझ सकते हैं कि यह कितनी घटिया एजेंसी है। लालू परिवार नहीं डरेगा।”

इसपर भाजपा नेता और सांसद सुशील मोदी ने लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को “बिहार में भ्रष्टाचार का प्रतीक” करार दिया और आरोप लगाया कि राजद नेता का “कार्यप्रणाली” जमीन के बदले नौकरी की तलाश करने वाले लोगों को लुभाने के लिए है। उन्होंने कहा, “तरीका यह था कि आप मुझे जमीन दें और बदले में मैं रेलवे में ग्रुप डी की नौकरी दूंगा। यहां जमीन पहले किसी और के नाम पर दी गई थी और 5-6 साल बाद यह यादव और उनके परिवार को उपहार में दी गई थी।” इन सभी बातों से यह सिद्ध होता है कि कैसे बिहार में बहार है तो सिर्फ टीवी और सिनेमा डायलॉग तक सीमित हैं, असल में तो बिहार में लालू का भ्रष्टाचार है, था और रहेगा, क्योंकि समय कोई भी रहा हो लालू और उनके परिवार के भ्रष्टाचार ने कहीं कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इसलिए लालू 20 साल से सत्ता से बाहर हैं, लेकिन उनके घोटाले अभी भी खत्म नहीं हो रहे हैं। मुझे जमीन दें और बदले में मैं रेलवे में ग्रुप डी की नौकरी दूंगा। यहां जमीन पहले किसी और के नाम