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आर्थिक संकट से घिरे श्रीलंका के लिए देवदूत बना भारत

श्रीलंका की आर्थिक बदहाली अपने चरम पर पहुंच चुकी है। आम जनमानस अब सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने पर बाध्य हो चुका है। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से इस्तीफे की मांग की जा रही है। लोगों का कहना है कि वे देश चला पाने में असमर्थ हो रहे हैं। ऐसे में उन्हें अपने पद पर विराजमान होने का कोई नैतिक हक नहीं है। उनके लिए उचित रहेगा कि वे अपने पद से इस्तीफा ही दे दें। उधर श्रीलंका की बढ़ती आर्थिक बदहाली को देखते हुए समस्त देश में आपातकाल लगाया जा चुका है। लोगों की बदहाली अपने शबाब पर पहुंच चुकी है। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए। उधर, ऐसी घोर विपदा की घड़ी में भारत सरकार की तरफ से श्रीलंका को मदद का ऐलान किया गया है।
बता दें कि भारतीय व्यापारियों ने श्रीलंका को 40 हजार टन चावल देने का ऐलान किया है। वर्तमान में श्रीलंका को अन्न के अभाव से गुजरना पड़ रहा है। वहां लोगों को खाने के लाले तक पड़ रहे हैं। वहां के बाशिंदों के लिए दो जून की रोटी नसीब होना भी मुश्किल पड़ रहा है। इससे पहले श्रीलंका की मदद के लिए भारत की तरफ से प्रतिबद्धता जताई जा रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य-व्यवस्था से लेकर कानून व्यवस्था तक की धज्जियां उड़ चुकी है। श्रीलंका के बाशिंदों की बदहाली अपने शबाब पर पहुंच चुकी है। ऐसी स्थिति में अगर वक्त रहते कोई कदम नहीं उठाया गया तो स्थिति आगामी दिनों में और विकराल हो सकती है। इसके अलावा श्रीलंका में उर्जा व्यवस्था भी ठप हो चुकी है।
बता दें कि भारतीय व्यापारियों ने श्रीलंका को 40 हजार टन चावल देने का ऐलान किया है। वर्तमान में श्रीलंका को अन्न के अभाव से गुजरना पड़ रहा है। वहां लोगों को खाने के लाले तक पड़ रहे हैं। वहां के बाशिंदों के लिए दो जून की रोटी नसीब होना भी मुश्किल पड़ रहा है। इससे पहले श्रीलंका की मदद के लिए भारत की तरफ से प्रतिबद्धता जताई जा रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य-व्यवस्था से लेकर कानून व्यवस्था तक की धज्जियां उड़ चुकी है। श्रीलंका के बाशिंदों की बदहाली अपने शबाब पर पहुंच चुकी है। ऐसी स्थिति में अगर वक्त रहते कोई कदम नहीं उठाया गया तो स्थिति आगामी दिनों में और विकराल हो सकती है। इसके अलावा श्रीलंका में उर्जा व्यवस्था भी ठप हो चुकी है।