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भारत में जन्मीं सुपर वीमेंस, जो पूरी दुनिया के लिए बन गईं मिसाल

छेंद्री पाल 1984 में बछेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं थीं। उन्होंने 1993, 1994 और 1997 में भारत-नेपाली महिला माउंट एवरेस्ट अभियान, द ग्रेट इंडियन विमेन राफ्टिंग वॉयेज और प्रथम भारतीय महिला ट्रांस-हिमालयन अभियान में महिलाओं की एक टीम के साथ इन प्रोग्राम में हिस्सा लिया था।छेंद्री पाल 1984 में बछेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं थीं।

उन्होंने 1993, 1994 और 1997 में भारत-नेपाली महिला माउंट एवरेस्ट अभियान, द ग्रेट इंडियन विमेन राफ्टिंग वॉयेज और प्रथम भारतीय महिला ट्रांस-हिमालयन अभियान में महिलाओं की एक टीम के साथ इन प्रोग्राम में हिस्सा लिया था।बछेंद्री पाल 1984 में बछेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं थीं। उन्होंने 1993, 1994 और 1997 में भारत-नेपाली महिला माउंट एवरेस्ट अभियान, द ग्रेट इंडियन विमेन राफ्टिंग वॉयेज और प्रथम भारतीय महिला ट्रांस-हिमालयन अभियान में महिलाओं की एक टीम के साथ इन प्रोग्राम में हिस्सा लिया था।

पाल उत्तरकाशी जिले के नकुरी गाँव की रहने वाली थी, जो उत्तराखंड में पवित्र नदी भागीरथी के बगल में स्थित है। जिसे एक पवित्र शहर के रूप में भी जाना जाता है। अगर आप भी उत्तरकाशी जाने की प्लानिग कर रहे है तो यात्रा के दौरान इस गांव में घूमने के लिए जा सकते हैं।कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला है, जो अपनी मृत्यु के इतने सालों के बाद भी आज भी कई भारतीयों के लिए एक गौरव बनी हुई हैं। उनका जन्म करनाल (हरियाणा) में हुआ था। अगर आप करनाल आते है, तो आपको यहां उनके नाम के कई संस्थान देखने को मिलेगें। आप ज्योतिसर, कुरुक्षेत्र में स्थित कल्पना चावला तारामंडल में भी घूमने जा सकते हैं।

कंगथेई (मणिपुर) – जहां मैरी कॉम ने लिया है जन्म-मैंगते चुंगनेइजंग मैरी कॉम, जिन्हें मैरी कॉम के नाम से भी जाना जाता है। जो दुनिया भर की महिलाओं के लिए एक मिसाल बनी हुई हैं। मैरी कॉम 8 विश्व चैम्पियनशिप पदक जीतने वाले एकमात्र महिला हैं। मैरी कॉम मणिपुर के एक छोटे से गांव कांगथी में रहती हैं। मणिपुर घूमने के लिए जाएं, तो आप कंगाथी जा सकते हैं।चंद्रमुखी बसु का जन्म 1860 में हुआ था। ये देहरादून की रहने वाली थी। चंद्रमुखी बसु भारत की वो पहली महिला थी जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान गेजुएट किया था। उन्होंने 1880 में देहरादून नेटिव क्रिश्चियन स्कूल से आर्ट परीक्षा पास की और और 1884 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ आर्ट्स पास करने वाली पहली महिला भी बनीं। चंद्रमुखी ने बेथ्यून कॉलेज में एक लेक्चरर के रूप में अपना करियर शुरू किया, वह प्रिंसिपल बनी, इस प्रकार दक्षिण एशिया में स्नातक अंडर ग्रेजुएट पहली महिला बन गईं।
पठानमथिट्टा (केरल) – भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश फातिमा बीवी का जन्मस्थान-फातिमा बीवी 1989 में भारत में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने वाली पहली महिला बनीं थी। वे कानून की पढ़ाई की करके देश में पुरुष-प्रधान समाज को तोड़ना चाहती थी। फातिमा का जन्म 1927 में त्रावणकोर (अब केरल) के तत्कालीन राज्य पथानामथिट्टा में हुआ था, और उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा वहीं से पूरी की थी। फातिमा बीवी को इंस्पिरेशन मानकर आप यहां घूमने के लिए जा सकते हैं।