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यूक्रेन से लौट रहे मेडिकल छात्रों का भविष्य नहीं होगा खराब

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद भारतीय छात्र वहां से देश लौट रहे हैं। इनमें से ज्यादातर छात्र यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई के लिए गए थे। देश लौट रहे छात्र और उनके घरवाले उनके भविष्य को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि मेडिकल की पढ़ाई में कहीं बाधा न पड़े। सूत्रों के मुताबिक पीएम नरेंद्र मोदी इस बारे में विचार कर रहे हैं और सरकार किसी सूरत में छात्रों का भविष्य दांव पर नहीं लगाएगी। ऐसे में उनके लिए अगले सत्र में भारत या विदेश के मेडिकल कॉलेजों में कोर्स पूरा करने की व्यवस्था हर हाल में की जाएगी।

भारतीय मेडिकल एसोसिएशन IMA ने इस बारे में मोदी को चिट्ठी लिखकर हस्तक्षेप की गुजारिश की थी। इस पर सरकार विचार कर रही है और इस महीने फैसला कर लिया जाएगा। सरकारी सूत्रों के मुताबिक फिलहाल नियम ये है कि विदेश में मेडिकल की शिक्षा ले रहे छात्रों को किसी और मेडिकल कॉलेज में दाखिला देने का नियम नहीं है। छात्र को उसी मेडिकल कॉलेज से पूरा कोर्स और उसके बाद इंटर्नशिप करनी होती है। यूक्रेन से लौट रहे छात्र और उनके घरवाले इसी वजह से परेशान हैं कि पढ़ाई कहीं बीच में ही न छुड़ानी पड़ जाए।

इससे छात्रों का बहुमूल्य साल और उनके पैरेंट्स का काफी पैसा नष्ट होगा। सूत्रों के मुताबिक सरकार विचार कर रही है कि नियमों में छूट देकर छात्रों को भारत के निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला दिया जाए। इसके अलावा अन्य देशों के मेडिकल कॉलेजों में अगर छात्र जाना चाहें, तो इसकी मंजूरी भी उन्हें मिले। मोदी इस बारे में क्या सोच रहे हैं, ये इसी से पता चलता है कि गुरुवार को वाराणसी में यूक्रेन से लौटे छात्रों से मुलाकात के दौरान उन्होंने बताया था कि सरकार मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़ाने की तैयारी कर रही है।

फिलहाल भारत में 605 मेडिकल कॉलेज हैं और इनमें से 325 निजी हैं। सरकार अगर सीट बढ़ाने का फैसला करती है, तो करीब 20000 छात्रों को इनमें दाखिला मिल सकेगा और उनका भविष्य बर्बाद होने से बच जाएगा। छात्रों को उनके गृह राज्य के अनुसार स्थानीय मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन देने की मांग की गई है. साथ ही कहा गया है कि यह तात्कालिक राहत व्यवस्था है. वहीं इसपर भी जोर दिया गया है कि इसे स्थायी नहीं माना जाए. उनके बचे कोर्सेज के हिसाब से ही एडमिशन दिया जाए.

स्वास्थ्य मंत्री से भी करेगा मुलाकात , IMA का कहना है कि करीब 17 से 20 हजार छात्र अचानक अपनी पढ़ाई छोड़ कर भारत लौटे हैं. ऐसे में उनकी पढ़ाई पूरी करने की कोशिश की जानी चाहिए. छात्रों को मानवीय आधार पर यहां दाखिला दिया जाना चाहिए. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा है कि यदि हम सीट 5 फीसदी भी बढ़ाते हैं तो इन्‍हें समायोजित किया जा सकता है. वहीं इस मसले पर संगठन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से भी मुलाकात करेगा.