भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी ख़ूबसूरती यही है कि उसमें विरोधी की बातों को सम्मानजनक स्थान देने की परम्परा शुरुआत से ही चली आ रही है। ऐसे में भारत के ही एक हिस्से में लोकतंत्र को ज़मीन में दफ़नाने का काम केरल सरकार शासन कर रही है। इसके प्रणेता स्वयं राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन हैं। केरल के अलाप्पुझा जिले में बुधवार रात एक स्थानीय मंदिर उत्सव के दौरान हुए विवाद के बाद संघ के एक स्वयंसेवक, 26 वर्षीय कार्यकर्ता सरथ चंद्रन की चाकू मारकर हत्या कर दी गई है।
इसके बाद इस पूरे प्रकरण के तार राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से जुड़ने लगे हैं जिसकी बात वर्ष 2014 में आशंका के रुप में पूर्व सीपीआई नेता ने जताई थी।दरअसल, सरथ चंद्रन अलाप्पुझा जिले के हरिप्पड इलाके में मंदिर से घर जा रहे थे, जब उन्हें लगभग 11.30 बजे रास्ते में चाकू मारकर मार दिया गया। दो घंटे बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई।
भाजपा ने 26 वर्षीय की मौत के लिए सत्तारूढ़ सीपीएम को जिम्मेदार ठहराया है, लेकिन पुलिस का कहना है कि सरथ चंद्रन की मौत राजनीतिक हत्या नहीं थी। ये तो हर कोई जानता है कि गुनहगार कभी अपने गुनाह को कुबूल नहीं करता है, ऐसा ही सीएम विजयन के परिप्रेक्ष्य में सत्य प्रतीत होता है।
राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के विरुद्ध यूँही विरोधी स्वर नहीं उठ रहे हैं, इसके पीछे एक बड़ा कारण है जिसे जानना बेहद आवश्यक है।
दरअसल, सीपीआई छोडने के बाद उसके एक वरिष्ठ नेता एवं दो बार के सांसद रहे ए.पी.अब्दुल्लाह कुट्टी ने तत्कालीन सीपीआई के प्रदेश सचिव पिनरई विजयन की पोल खोलते हुए उनके काले कच्चे-चिट्ठे सबके सामने रखे थे। सीपीएम के पूर्व सांसद एपी अब्दुल्लाकुट्टी ने आरोप लगाया था कि सीपीएम के राज्य सचिव पिनाराई विजयन ने पार्टी नेताओं से बिना खून की एक बूंद बहाए राजनीतिक दुश्मनों को मारने की “बंगाल लाइन” का पालन करने के लिए कहा था।
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