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यूपी में CAA कानून के खिलाफ दंगा करने वालों के लिए नई मुश्किल, CM योगी ने किया ये एलान

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दंगा करने वालों और समाजवादी पर करारा निशाना लगाया है। उन्होंने फिर साफ किया है कि उनकी सरकार दोबारा बनने पर किसी भी सूरत में दंगाइयों को बख्शा नहीं जाएगा। साथ ही सीएए कानून के खिलाफ आंदोलन के दौरान जिन लोगों ने हिंसा की, उनको अब नए सिरे से नोटिस देकर संपत्ति जब्ती का काम भी किया जाएगा। योगी ने समाजवादी पार्टी और आतंकवाद के बीच रिश्ता जोड़ते हुए विपक्षी दल को भी कटघरे में खड़ा किया है।

समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए योगी ने कहा कि सपा देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करती आ रही है। उन्होंने कहा कि साल 2013 में सपा ने घोषित आतंकियों के मुकदमे वापस लिए थे। काशी के संकटमोचन मंदिर, अयोध्या, लखनऊ और गोरखपुर में धमाके हुए थे। कचहरियों में भी आतंकियों ने बम फोड़े थे। योगी ने कहा कि हर मामले में सपा ने केस वापस लिए। इसके अलावा अब तक माफी भी नहीं मांगी। उन्होंने कहा कि अहमदाबाद बम धमाकों के एक दोषी का पिता भी सपा का प्रचार कर रहा है।

योगी ने ये भी साफ किया कि वो पाखंड या रूढ़िवादी नहीं हैं। अखबार की ओर से इस बारे में सवाल पूछने पर योगी ने कहा कि मैं मिथक तोड़ने के लिए राजनीति में आया हूं। मैं योगी होने के नाते आस्थावान हूं, लेकिन पाखंड नहीं मानता। उन्होंने कहा कि पाखंड तो विकास में बाधक होता है। जब जीवन स्थायी नहीं, तो कुर्सी कभी स्थायी नहीं हो सकती। कुर्सी बचाने के लिए यूपी की 25 करोड़ आबादी के भविष्य से वो खिलवाड़ नहीं कर सकते। ऐसे में वो बार-बार नोएडा गए क्योंकि लोग कहते थे कि जो नोएडा जाता है, वो सरकार में नहीं लौटता।

उत्तर प्रदेश सरकार ने दिसंबर 2019 में कथित CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों को जारी भरपाई नोटिस पर कार्रवाई की थी, जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने 11 फरवरी को सरकार को फटकार लगाई थी। इसके साथ ही न्यायालय ने सरकार को अंतिम अवसर दिया था कि वह कार्रवाई वापस ले हुए चेतावनी दी थी कि उसकी यह कार्रवाई कानून के खिलाफ है इसलिए अदालत इसे निरस्त कर देगी।

इसी मिथक को वो तोड़ना चाहते थे। कोर्ट ने कहा- यह कार्रवाई कानून के खिलाफ, न्यायालय ने कहा था कि दिसंबर 2019 में शुरू की गई कार्रवाई उस कानून के विरुद्ध है, जिसकी व्याख्या सुप्रीम कोर्ट ने की है। न्यायालय परवेज आरिफ टीटू की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में अनुरोध किया गया था कि कथित प्रदर्शनकारियों को भेजे गए नोटिस रद्द किए जाएं।