नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को जेम्स बॉन्ड ऑफ इंडिया के नाम से भी लोग बुलाते हैं। सोशल मीडिया पर उन्हें जन्मदिन की बधाई भी मिल रही है। अजित डोभाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बेहद खास भी माना जाता है। उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर नगा शांति समझौता, ऑपरेशन ब्लैक थंडर से लेकर आईएसआईएस के चंगुल से भारतीय नर्सों को सुरक्षित निकालने तक ऐसे कई काम किए हैं जो उन्हें दूसरो से अलग बनाते हैं। 77 साल के डोभाल भारतीय पुलिस सेवा के ऐसे रिटायर्ड अधिकारी भी हैं जिन्हें कीर्ति चक्र दिया जा चुका है।
1972 में रॉ से जुड़े डोभाल
20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्में अजीत डोभाल के पिता जीएन डोभाल भी भारतीय सेना में एक अधिकारी थे। अजीत डोभाल की प्रारंभिक शिक्षा अजमेर, राजस्थान में किंग जॉर्ज्स रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल (अब अजमेर मिलिट्री स्कूल) में हुई थी। 1967 में आगरा यूनिवर्सिटी से उन्होंने इकोनॉमिक्स में मास्टर्स किया। 1968 बैच के केरल कैडर के IPS अधिकारी रहे अजीत डोभाल साल 1972 में खुफिया एजेंसी रॉ से जुड़ गए। इसके अलावा उन्होंने करीब 7 सालों तक पाकिस्तान में अंडर कवर एजेंट के रूप में भी काम किया।
ऑपरेशन ब्लैक थंडर में निभाई अहम भूमिका
अमृतर की गलियों में साल 1988 में एक युवक रिक्शा चलाता दिख रहा था। इस वक्त इस इलाके में युवक रिक्शा चलाता दिख रहा था। हालांकि खालिस्तानियों को उस पर शक हो रहा था लेकिन करीब 10 दिनों की मशक्कत के बाद वो रिक्शे वाला उन्हें यकीन दिलाने में सफल रहा कि उसे आईएसआई ने खालिस्तानियों की मदद के लिए भेजा है। कहा जाता है ये शख्स (रिक्शावाला) कोई और नहीं बल्कि अजित डोभाल ही थे। डोभाल ने ऑपरेशन ब्लैक थंडर में अलगाववादियों की पोजिशन और उनकी संख्या से जुड़ी जानकारी देकर उस ऑपरेशन में काफी अहम भूमिका निभाई थी।
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