प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन कृषि कानूनों को वापस लेकर सबको हैरान कर दिया था। किसी को उम्मीद नहीं थी कि एक मजबूत सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकती है। किसान आंदोलन के जरिए मोदी सरकार पर ‘जिद्दी’, ‘अड़ियल’, ‘तानाशाह’ होने के तमाम आरोप लगाए जा रहे थे। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अपने विरोधियों को समझाया कि मजबूत सरकार का मतलब सिर्फ अपने फैसलों पर अडिग रहना नहीं है, बल्कि जनभावनाओं का कद्र भी करना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक झटके में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेकर न सिर्फ अपने विरोधियों को करारा जवाब दिया, बल्कि दुनिया को संदेश दिया कि उनकी सरकार काफी संवेदनशील है। यही वजह है कि आज देश और दुनिया में उनके फैसले की तारीफ हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी के समय जो वादा किया था, उससे पूरा किया। साथ ही किसानों के मुद्दों पर आगे विचार करने पर सहमति जताई। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार के इस रूख का अमेरिका में बसे सिख समुदाय ने स्वागत किया है।
प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए सिखों ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में किसानों से जुड़े मुद्दों पर सही से ध्यान दिया गया है। अमेरिका के वर्जीनिया में बुधवार (22 दिसंबर, 2021) को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ‘सिख ऑफ अमेरिका’ संगठन के जस्से सिंह ने कहा, ‘अमेरिका में सिख समुदाय तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के प्रधानमंत्री मोदी के फैसले की तारीफ कर रहा है। प्रधानमंत्री ने भारत में हमेशा सिख समुदाय और किसानों के हितों का संरक्षण किया है।
गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ करीब एक साल तक चले धरने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने 19 नवंबर, 2021 को इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी। साथ ही नवंबर में संसद के शीतकालीन सत्र में कृषि कानूनों की वापसी से जुड़ा कानून भी पास हो गया। जिसके बाद आंदोलनकारी किसान अपने-अपने घरों को वापस लौट गए। इन कानूनों को लेकर मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे थे।
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